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शिरोमणि कमेटी ने अखंड पाठ भोग की भेंट 6100 से बढ़ाकर 7500 मुकरर की

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लुधियाना-अमृतसर : सूरस की तरह बढ़ती महंगाई का असर अब वाहेगुरू के नाम उच्चारण पर भी पडऩे लगा है। हालांकि अमृतसर स्थित शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी का वार्षिक बजट चाहे 11 अरब से भी ऊपर है, लेकिन वह भी माया इकटठी करने का कोई ना कोई बहाना करके अपने खजाने में बढ़ौतरी की युगत लगा ही लेती है, चाहे रब्ब का नाम लेना ही महंगा क्यों ना करना पड़े। जानकारी के मुताबिक श्री अखंड पाठ की भेंट अब 6100 से 7500 रूपए कर दी गई है और यह बढ़ौतरी पिछले ही दिनों 1400 रूपए अधिक वसूले जा रहे है। पिछले दिनों गुरू घर में नाम उच्चारण करने वाले अखंड पाठियों द्वारा संकेतिक हड़ताल की गई थी कि उनको कमेटी द्वारा श्री अखंड पाठ के पीछे मेहनताना बहुत कम दिया जा रहा है। उनके मेहनताने में पिछले 3 सालों से किसी भी प्रकार की बढ़ौतरी नहीं की गई। अखंड पाठियों ने अपने पैसे बढ़वाने के लिए इंचार्ज से लेकर कमेटी प्रधान तक अप्रोच की किन्तु किसी ने भी उनकी सुनवाई नही की।

आखिर सामूहिक फैसला लेते हुए उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के नजदीक बने अखंड पाठ के कमरों के सामने रोष प्रदर्शन किया। गलियारों में नारेबाजी चाहे नही की गई परंतु सतनाम वाहेगुरू का नाम जापते हुए ऊंची आवाज में सिमरन शुरू किया जब इस घटना की जानकारी दरबार साहिब के प्रबंधकों और शिरोमणि कमेटी को लगी तो उन्होंने तुरंत अखंड पाठियों के आगुओं से बातचीत करते हुए रोष प्रदर्शन बंद करवाया। दरबार साहिब के इतिहास में शायद यह पहला मौका था, जब परिसर के अंदर गुरूघर के वजीर कहलाए जाने वाले अखंड पाठियो को ऐसे कड़े कदम उठाने पड़े। एसजीपीसी प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर ने पाठियों से बातचीत की और उनका मेहनताना प्रति पाठी 600 से बढ़ाकर 800 कर दिया। एक पाठी को महीने में करीब 15 से 20 पाठों की डयूटी संभालनी पड़ती है।  पहले 5 पाठ ही अखंड पाठ संपूर्ण करते थे पंरतु अब पाठों की गिनती 3 बढ़ाकर 8 कर दी है। 3-3 घंटे के सांझे वक्त के दौरान में 2 पाठी मौजूद रहते है और डेढ-डेढ घंटे पाठ करके एक पारी दो पाठी पूरी करते है।

इससे पहले अखंड पाठियों को 4800 रूपए शिरोमणि कमेटी देती थी जोकि अब बढ़ाकर 6400 कर दिया गया है। पहले एक अखंड पाठ में 1300 रूपए शिरेामणि कमेटी बचाती थी तो अब 1100 रूपए बचाती है। कमेटी का तर्क है कि बाकी की राशि कड़ा परशाद की देग, रू माला साहिब और रागी जत्थों की भेंट, बिछी हुई चादरों की धुलाई, चंदोआ साहिब समेत बिजली का खर्च भी होता है। जानकारी के मुताबिक हर दिन 45 से 50 पाठ संपूर्ण होते है। यह भी पता चला है कि श्री अखंड पाठ की बारी आने में महीनों ही नहीं सालों गुजर जाते है। जबकि हरिकी पोड़ी में अगले आदेशों तक अखंड पाठ की बुकिंग भी कमेटी ने बंद कर रखी है, क्योंकि पहले ही बहुत सारे अखंड पाठ बुक हो चुके है। कुल मिलाकर महंगाई के इस दौर में अच्छी युक्त निकाली है, शिरोमणि कमेटी ने धन उगाही की।

– सुनीलराय कामरेड

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