लुधियाना-अमृतसर : भाजपा के नामजद राज्यसभा सदस्य डॉ सुब्रामन्यम स्वामी द्वारा जून 1984 के फौजी हमले के लिए पश्चाताप किए जाने बारे दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए पूर्व अकाली मंत्री स. मनजीत सिंह कलकत्ता ने कहा कि अगर डॉ स्वामी इस बारे में संजीदा है तो वह नरेंद्र मोदी की अगुवाई करने वाली केंद्र की भाजपा सरकार से लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करवाने के लिए यत्नशील हो।
स. मनजीत सिंह कलकत्ता ने यह भी बताया कि डॉ सुब्रामन्यम ने 1982 के धर्मयुद्ध मोर्चे के दौरान संत जरनैल सिंह भिंडरावाले को मिलने आते रहते थे। उन्होंने कहा कि जिस बेबाकी के साथ संत जी ने धर्म युद्ध मोर्चे का उददेश्य और तत्कालीन सिख समस्याओं के बारे में डॉ स्वामी के सामने सिख कौम का पक्ष रखा था। डौ स्वामी युद्ध मोर्चे की मांगे मनवाने के लिए किसी भी सरकार के साथ बातचीत का रास्ता खोलने के लिए आगे नही आएं।
स. कलकत्ता ने यह भी बताया कि डॉ स्वामी का अधिकांश सियासी जीवन जनता दल के साथ जुड़ा रहा है परंतु 1998 में केंद्र की भाजपा की अध्यक्षता वाली एनडीएसरकार बनते ही वह भाजपा की राह पर चल निकले। उन्होंने कहा कि केंद्र में एनडीए छह साल सत्ता में रही और अब एक बार फिर 2014 से सत्ता में है। 2016 में डॉ स्वामी भाजपा द्वारा नामजद राज्यसभा सदस्य है। वह जून 1984 के हमले के लिए पश्चाताप किए जाने की बात करते है।
आखिर पश्चाताप का आगु कौन बनें। कलकत्ता ने यह भी बताया कि डॉ स्वामी कटटर हिंदू सोच के धारणी है। वह 1992 में तोड़ी गई बाबरी मस्जिद वाले स्थान पर राममंदिर उसारे जाने के मुदई है। जून 1984 के हमले में इंद्रा गांधी को मजबूर करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लालकृष्ण आडवाणी जैसे भाजपा वरिष्ठ नेता आगु है। तो डॉ स्वामी किस पार्टी से पश्चाताप की आस कर रहे है। उन्होंने दोहराया कि डॉ स्वामी सत्य ही इस मुददे पर संजीदा है तो पश्चाताप के मुददे को मत्ते के रूप में संसद के अंदर पेश करके दिखाएं।
- सुनीलराय कामरेड