लुधियाना-अमृतसर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों और तख्तों के जत्थेदारों की तरफ से सिख कौम की बजाए बादल परिवार की सेवादारी करने के खिलाफ पंथक संगठन दरबार—ए— खालसा के सेवादारों ने एसजीपीसी अध्यक्ष के नाम पर आज एक ‘शर्म पत्र ’ एसजीपीसी सचिव मंजीत सिंह बाठ को सौंपा।
मोगा से बड़े काफिले के रूप में श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचकर अरदास करने के बाद संगठन के मुख्य सेवादार हरजिंदर सिंह मांझी के नेतृत्व में श्रद्धालु एसजीपीसी के मुख्यालाय पहुंचे। एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल के वहां मौजूद न होने के कारण संगत से ‘शर्म पत्र ’ एसजीपीसी के सचिव ने लिया। यह मार्च गुरुद्वारा दीन साहिब से अरदास करके सुबह श्री अकाल तखत साहिब के लिए रवाना हुआ था।
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जत्थे में शामिल सदस्य बाद दोपहर श्री हरिमंदिर साहिब बूंदाबांदी के बीच पहुंचे। रोष में आई हुई संगत के सदस्यों ने बादल परिवार और एसजीपीसी के विरूद्ध रोष भरे नारों से सुसज्जित तख्तियां पकड़ी हुई थी। जैसे ही सेवादार एसजीपीसी मुख्य कार्यालय के बाद ज्ञापन सौंपने के लिए पहुंचे तो एसजीपीसी की टास्कफोर्स ने मुख्य गेट बंद दिया। जबकि रोष में आई हुई संगत ने जसबातों पर काबू करते हुए सतनाम वाहेगुरू की अरदास जारी रखी। कुछ समय बाद ही एसजीपीसी के सचिव मंजीत सिंह ने अन्य अधिकारियों के साथ गेट से बाहर आकर दरबार— ए— खालसा संगठन के कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन लिया।
एसजीपीसी सचिव को ‘शर्म पत्र ’ सौंपने के बाद संस्था के मुखी हरजिंदर सिंह माझी और हरपिंदर सिंह कोटकपुरा ने कहा कि अकाली दल बादल के राज काल के दौरान एसजीपीसी के पदाधिकारियों और तख्तों के जत्थेदारों ने सिख कौम की गौरवमय परंपराओं की खुले आम बादल परिवार के आदेशों पर धज्जियां उडा कर सिख कौम की सेवा करने की जगह सिर्फ और सिर्फ बादल परिवार की सेवा दारी की है। जिस के चलते आज सिख कौम पूरी तरह राजनीतिक और धार्मिक रूप में असहाय हो चुकी है।
इस सब में एसजीपीसी और तख्तों के जत्थेदार पूरी तरह जिम्मेवार है। इन सभी ने कौम के धार्मिक नियमों को पीठ दिखा कर जो पंथ विरोधी काम किए है यह इन लोगों के लिए शर्म की बात है। इस को याद करवाने के लिए उनकी ओर से एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल को शर्म पत्र देने के लिए आए है ताकि वह भविष्य में बादल परिवार की सेवादारी छोड कर सिख कौम की सेवा करें जिस के लिए सिख कौम ने उनकों सेवा सौंपी है।
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उन्होंने कहा कि डेरा सिरसा के मुखी को गुरु साहिब का संवाग रचाने के लिए पौशाक भेट करने के साथ डेरा मुखी को माफ करने , बहिबल कलां व कोटपुरा की घटनाए और राज्य में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हुई बेअदबी की घटनाओं के लिए अकाली दल बादल, एसजीपीसी के पदाधिकारी और तख्त साहिबों के तत्कालीन जत्थेदार पूरी तरह जिम्मेवार है। इस सारे कामों में सिख कौम का सिर नीचा करने में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की भूमिका भी सारी दुनिया के सामने नंगी हो चुकी है। सिख कौम के बड़े संस्थानों के उपर बैठे लोगों की ओर से ही सिख कौम का सिर नीचा करने वाली हरकतें करने पर इन पदाधिकारियों शर्म आनी चाहिए। इस का प्रचार व प्रसार करने के लिए संगठन के सेवादार श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे है।
उन्होंने कहा कि जब तक सभी आरोपियों को सजाएं नहीं मिल जाती तब तक उनके संगठन के सेवादार राज्य भर में सिख के रूप में बैठे पंथ विरोधियों के चेहरे बेनकाब करते रहेंगे। आज एसजीपीसी अधिकारियों को शर्म पत्र सौंपे के बाद संगठन की ओर से 14 अक्टूबर को बत्तियांवाला चौंक कोटकपुरा में एक लाहनत कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। जिस में सारी सिख कौम इन लोगों को पंथ विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए लाहनत डालेगी। इस दिन सिख को अपील की जाएगी कि भविष्य में 14 अक्टूबर को सिख कौम लाहनल दिवस के रूप में आयोजित किया करे। संगठन की ओर से यह अभियान सारे राज्य में जारी रखा जाएगा।