लुधियाना-अमृतसर : शारदीय नवरात्रों के दौरान मां देवी के श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए कलकत्ता में सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब की हूबहू नकल करके पंडाल बनाए जाने की सिख संगठनों द्वारा मिल रही शिकायतों के मध्यनजर शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कड़ा ऐतराज जताते हुए सखत नोटिस लिया है।
एसजीपीसी अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने पूजा के लिए श्री हरिमंदिर साहिब की तर्ज पर पंडाल बनाए जाना सिख सिद्धांतों के खिलाफ बताया। उनका कहना है कि इससे सिखों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है।
भाई लोंगोवाल ने कहा कि सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब की नकल नही की जा सकती, ऐसा करने वालों को सिख रिवायतों, मान्यताओं और सिख संगत की भावनाओं को समझना चाहिए था। इसी संबंध में एसजीपीसी की ओर से कोलकाता में गुरूद्वारा बड़ा सिख संगत के प्रबंधकों को इस मामले की जांच के लिए कहा है। जबकि नकल करके पंडाल बनाए जाने के मामले में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि श्री हरिमंदिर साहिब की नकल नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह एसजीपीसी से बात करेंगे।
प्राप्त जानाकरी के मुताबिक कलकत्ता के भवानीपुर इलाके में स्थित नार्दन पार्क में दुर्गा पूजा के अवसर पर यह विशेष पंडाल बनाया गया है। जो बिलकुल सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब का आभास देता है। सूत्रों के मुताबिक कलकता में ऐसे ही आभास देने वाले पंडाल विभिन्न इलाकों के 3 स्थानों पर बनाए गए है। इस हरकत के उपरांत दुनिया भर के सिखों में भारी रोष पनपा है। आयोजकों में से प्रबंधक मुन्ना पांडे से हुई बातचीत के मुताबिक उन्होंने मां दुर्गा के आयोजन के मध्यनजर इस बार कुछ हटकर मनाने का निर्णय किया था।
उनका दावा है कि प्रथम गुरू श्री गुरू नानक देव जी के 550वें पावन दिवस के अवसर और भवानीपुर में 75वे दुर्गा पूजा के अवसर पर कुछ हटकर नया करने का निर्णय किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके इलाके में पंजाबी भाईचारे की संख्या अधिक है, जो दुर्गा पूजा के अवसर पर मां दुर्गा को नमन करने आते है, उन्होंने यह भी कहा कि इलाके के गुरूद्वारा साहिब के प्रबंधकों से भी पंडाल बनाने से पहले बातचीत हुई थी, उनके मुताबिक इस पंडाल में ना तो श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का स्वरूप रखा गया और ना ही किसी सिख गुरू की प्रतिमा का निर्माण हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि लंगर प्रथा में भंडारे का समस्त कार्य कमेटी बाहरी पंडाल में कर रही है। बरहहाल विवादों के बीच उनका दावा है कि ना तो यह श्री हरिमंदिर साहिब की नकल है और ना ही उनकी कोई ऐसी भावना थी। उन्होंने तो पंडाल को बनाते समय श्री दुर्गायाणा मंदिर के स्वरूप को ध्यान में रखा था।
– सुनीलराय कामरेड