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अपने पिता अजायाब सिंह सिद्धू का इंटरव्यू सुनकर सिद्धू की आंखों में अश्रु फूट पड़े

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लुधियाना-अमृतसर : भारत भ्रमण के दौरान आस्ट्रेलिया की अंबेसडर हरिंद्र कौर सिद्धू अपने तीन दिवसीय अमृतसर दौरे के दौरान पाटीशन म्यूजियम (हिंद-पाक बंटवारा अजायबघर ) में 1947 के दौरान 2 मुल्कों के बंटवारे का शिकार हुई 3 बुजुर्ग महिलाएं महिंद्र कौर (84), जगीर कौर (85) और गुरबचन कौर (77) के गले मिली तो उनसे बंटवारे के वक्त घटित वृतांत सुना तो अपनी नम हो रही आंखों को उंगलियों के पौरों से पौंछते हुए उन्होंने कहा कि यह पीड़ा दर्दनाक थी और पीड़ा को हमारी पीढिय़ों ने पाजीटिव लिया और उन्नति के शिखर की ओर चल निकले। उन्होंने दुनिया के इकलौते पाटीशन म्यूजियम से भावी पीढ़ी को ऐसी गलती ना दोहराने की अपील भी की। स्मरण रहे कि मैडम हरिंद्र कौर सिद्धू स्वयं हिंद-पाक बंटवारे के दौरान प्रभावित हुए परिवार से ही संंबंध रखती है और उनके पिता अजायब सिंह सिद्धू इस अजायब घर में लगी बड़ी स्क्रीनों पर 8 मिनट की आपबीती बयान करते है। डाक्यूमेंटरी देखकर उनकी आंखों के कौर गिले हो जाते है।

मैडम सिद्धू ने अजायब घर के बनाए जाने पर प्रशंसा की और कहा कि यह एक बेहतर पहलकदमी है। इस दौरान आस्ट्रेलिया हाईकमीशन ने अजायब घर के अंदर बने ‘ट्री आफ होप ’ पर अपना संदेश भी लिखा कि बंटवारा एक भयानक त्रासदी थी। उन्होंने दोनों राष्ट्र के लोगों को कहा कि हम भविष्य की खातिर एक-दूसरे के साथ कैसे संबंध बेहतर बना सकते है और इसके लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने भारत और पाकिस्तान में शांति और समझदारी से दोस्ती की इच्छा जाहिर की। इस दौरान बंटवारे से जुडी हुई वस्तुएं, अखबारों की कतरनें, फोटो और वीडियो को भी बड़े ध्यान से देखा। इस दौरान म्यूजियम प्रबंधकों की ओर से सीईओ मल्लिका आहलूवालिया, डॉक्टर संतोख सिंह, नायब तहसीलदार लखविंद्र पाल सिंह गिल और मैडम गनीश कौर ढिल्लो और मैनेजर राजविंद्र कौर भी मौजूद थी।

इससे पहले हरिंद्र कौर सिद्धू ने दरबार साहिब में माथा भी टेका और सरबत के भले की अरदास की। उन्होंने कहा कि उनकी काफी समय से दरबार साहिब में माथा टेकने की इच्छा थी। स्मरण रहे कि हरिंद्र कौर सिद्धू के मां-बाप पंजाबी है और उनके पिता का जन्म पंजाब में हुआ था जबकि वह स्वयं सिंगापुर में पैदा हुई और उसके मां-बाप वही के होकर रह गए। हरिंद्र कौर सिद्धू ने 2016 में भारत में आस्ट्रेलिया के हाईकमीशन के तौर पर जिम्मेदारी संभाली थी । सिद्धू स्वयं को खुशकिस्मत समझती है कि पंजाब के सरकारी दौरे के दौरान सिखों के महान और मुकददस स्थान सच्चखंड हरमंदिर साहिब में दर्शन कर सकी। इस दौरान उन्होंने लंगर हाल में जाकर सेवा भी की और एसजीपीसी की तरफ से उन्हें हरमंदिर साहिब का माडल और धार्मिक किताबों का सैट भी गुरू की बख्शीश स्वरूप सिरौपा देकर विशेष सम्मान दिया गया।

– सुनीलराय कामरेड

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