लुधियाना : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की अध्यक्षता तले कार्यशील राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा दशम पिता श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के 350वें वर्ष के पावन प्रकाश पर्व को समर्पित 25 अक्टूबर को दिल्ली में होने जा रहे समारोह के दौरान सिख धार्मिक शखसियतों की शमूलियत को लेकर आज अधिकांश सिख पंथ उहो-पोह की स्थिति में है। समारोह में शामिल होने के मुद्दे को लेकर गर्म दलीय सिख संगठनों की भृकुटी तन चुकी है। इस चर्चा का मुख्य कारण राष्ट्रीय सिख संगत को किसी भी प्रकार का सहयोग न देने के बारे में सन् 2004 में सिखों की सिरमौर संस्था तत्कालीन सिंह साहिबान द्वारा पंथक के नाम पर जारी हुक्मनामा बताया जा रहा है। जिसमें स्पष्ट संदेश दिया गया था कि आरएसएस पंथ विरोधी जमात है और अपने स्वार्थ के लिए सिखों को अलग कांैम मानने से इंकार करती है और यह सिखों को केशधारी हिंदू साबित करने में हमेशा यत्नशील रही है। उस वक्त सिख संगत को स्पष्ट किया गया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की धोखाबाजी से बचा जाए।
जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा 25 अक्टूबर बुधवार की शाम को दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में करवाये जा रहे धार्मिक समागम की प्रधानगी तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह कर रहे है। जबकि मुखय प्रवक्ता के तौर पर आरएसएस के प्रमुख डा. मोहन राव भागवत समेत मुखय मेहमान के तौर पर पूर्व भाजपाध्यक्ष व वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी होंगे। दूसरी तरफ, श्री अकाल तखत साहिब के तात्कालीन जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती द्वारा राष्ट्रीय सिख संगत को समूचे सिख पंथ को सहयोग न देने संबंधी 23 जुलाई, 2004 में सहयोग न देने बारे में हुक्मनामा उस वक्त जारी किया गया था, जब कट्टर हिंदू संगठनों ने श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के चार सौ साला प्रकाश पर्व के मौके पर श्री गुरू ग्रंथ साहिब गुरवाणी की पावन यात्रा नगर कीर्तन करके इसमें तखत साहिब के सिंह साहिबॉन के शामिल होने का दावा करते हुए सिख संगत को भ्रम में डाला था। आज उसी रूपरेखा पर चलते हुए राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा एक बार फिर सर्वधर्म सम्मेलन के बैनर तले यह समारोह करवाया जा रहा है।
इसी संंबंध में आज एक बार फिर श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने स्पष्ट किया है कि इस समागम से उनका कोई संबंध नहीं है। इस समागम में इकबाल सिंह की तरह उनके शामिल होने संबंधी आमंत्रण पत्र मिलने के बारे में उन्होंने स्पष्ट किया गया कि अभी तक उन्हें ऐसा कोई आमंत्रण पत्र नहीं मिला है। अगर उन्हें किसी ने भेजा होगा तो वह उसमें शामिल नहीं होंगे। ज्ञानी इकबाल सिंह या फिर अन्य सिख शखसीयतों के इस समारोह में शामिल होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वह जल्द ही उस हुक्मनामे की इबारत को पढकर उसके बारे में कोई बात करेंगे। सिख हल्कों में चर्चा है कि यह हुक्मनामा 2004 में आरएसएस समागम के लिए सहयोग न देने के लिए जारी हुआ था और हुक्मनामा हमेशा के लिए जारी होता है। इसी कारण सिंह साहिबान पूर्ण रूप से खामोश है।
उधर भारत समेत विदेशों में भी सिख जत्थेबंदियों की कोडिनेशन कमेटी के कोडिनेटर हिम्मत सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा करवाए जा रहे समारोह का सिख बायकाट करें, अगर कोई भी सिख उस समारोह में शामिल होता है तो उसकी शिनाख्त करके उसे कौम का गददार घोषित किया जाएं। आज जालंधर में सिख सेवा सोसायटी इंटरनैशनल ने आंदोलन करने की चेतावनी देते हुए कहा कि हमारी लड़ाई आरएसएस के खिलाफ संवैधानिक आजादी की है।
जबकि दूसरी तरफ तलख सच्चाई यह भी है कि अगर इतिहास के तौर पर देखा जाएं तो सिखों में राष्ट्रीय सिख संगत की दखलंदाजी भी कौम के रक्षक कहलाने वालों ने ही करवाई थी और शायद यही कारण है कि मानसिक तौर पर बादलों की रहनुमाई करने वाले जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह अपने ही उस हुकमनामे को आप ही मानने के लिए तैयार नही है। दिलचस्प बात यह है कि जिस संस्था के विरूद्ध हुकमनामा है, उसे अकाल तख्त साहिब से ही सिख विरोधी करार दिया गया था।
देश की आजादी के पश्चात 1947 के बाद अल्प संख्यकों में से सबसे ज्यादा मार्शल सिख कौम मानी जाती है परंतु शिरोमणि अकाली दल, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी और जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब में वह बडक़ नहीं जो किसी वक्त अकाली फूला सिंह, मास्टर तारा सिंह, संत फतेह सिंह और जगदेव सिंह तलवंडी समेत गुरचरण सिंह टोहरा की थी। आज समस्त सिख पंथ उन्हें याद करके रो रहा है।
– सुनीलराय कामरेड