लुधियाना- गुरदासपुर : पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के प्रति पंथक जत्थेदारों का रोष बढ़ता ही जा रहा है। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को चुनौती देते हुए टकसाली अकाली नेता सेवा सिंह सेखवां ने पार्टी की कोर कमेटी से मेंम्बरशिप इस्तीफा देते हुए पार्टी के उपप्रधान के पद से भी इस्तीफा दे दिया। सेवाखंा के इस्तीफे के उपरांत माझा स्थित अकाली दल में बड़ी दरार पडऩा तय है।
इस्तीफा देने से पहले सीधे तौर पर सेखवां ने सुखबीर सिंह बादल और विक्रम मजीठिया के ऊपर खूब निशाने लगाएं। सेखवां ने जिस प्रकार की शब्दावली का उपयोग किया, वह शायद ही किसी अकाली नेता ने अपने पार्टी के प्रधान के लिए प्रयोग किए हो। माझा के तीन दिगज नेताओं समेत कई पंथक जत्थेदार पार्टी अकाली दल की लीडरशिप से असंतुष्ट चले आ रहे है। हालांंिक पार्टी के कुछ दिगजों ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर पार्टी के पदों से त्यागपत्र देने का मन बनाया हुआ है, परंतु सेखवां ने ना तो किसी बीमारी और ना ही स्वास्थ्य का हवाला दिया।
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उन्होंने मजीठिया और सुखबीर को निशाने पर लेते हुए उनकी लीडरशिप में हुए फैसलों की तीखी नुकताचीनी की गई। सेखवां के पार्टी पदों से इस्तीफा देने के कुछ देर बाद ही पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। उधर पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने शिअद हाई कमान का फरमान सुनाते हुए सेखवां को पार्टी से निष्कासित किए जाने की घोषणा कर दी। डॉ चीमा ने कहा कि सेखवां के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर यह कार्रवाई की गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि सेखवां लगातार 4 बार विधानसभा चुनाव हार चुके है और सेखवां ने एक मोकापरस्त की तरह आज व्यवहार किया है और सेखवां अपनी मां-पार्टी की पीठ पर छुरा मारने वाली हरकतें कर रहे थे। चीमा ने कहा कि पार्टी द्वारा उनको सौंपी गई अनगिनित जिम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने पार्टी के प्रति नाराजगी दिखाई है, इसलिए सेखवां को पार्टी से निकाला गया है।
इससे पूर्व, गुरदासपुर में पार्टी से नाराज टकसाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा व रतन सिंह अजनाला भी सेखवां के साथ गुरदासपुर में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मौजूद थे। सेखवां ने कहा कि जब तक पार्टी की प्राथमिक लीडरशिप नहीं बदली जाती तब तक वह उसका हिस्सा नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि सुखबीर सिंह बादल प्रधानगी पद के काबिल नहीं हैं। सुखबीर ने सिख पंथ व सिखों को अपनी कुर्सी पर कुर्बान कर दिया। इस दौरान रतन सिंह अजनाला ने कहा कि अगर अकाली दल को बचाना है तो पार्टी को सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया को किनारे करना होगा।
नाराज टकसाली नेताओं ने कहा कि जब अकाली दल की सरकार थी तो उनकी एक नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि अकाली दल किसी के बाप की पार्टी नहीं है। इस पार्टी को बनाने में सभी का योगदान है। सेखवां ने आरोप लगाया कि बादल और कैप्टन का परिवार आपस में मिला हुआ है।
नाराज नेताओं ने कहा कि बादल ने हमें पद देकर कोई अहसान नहीं किया। हमने ही उसे इस लायक बनाया। आज उन्हीं की नहीं सुनी जा रही। गुरचरण सिंह टोहड़ा द्वारा भी इसी तरह पार्टी छोडक़र आधार गंवाने के सवाल के जवाब में उक्त नेताओं ने कहा उनकी लड़ाई राजनीतिक थी। हमारी सैद्धांतिक है। हम अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे परिणाम चाहे कुछ भी हो।
नाराज टकसाली नेताओं ने कहा कि जब सुखबीर बादल की अपनी सरकार थी तो उन्हें नवंबर महीने में सिर्फ कबड्डी मैच और प्रियंका चोपड़ा का डांस याद रहता था। आज वह सिखों के कत्लेआम के मुद्दे पर धरने का ड्रामा कर रहे हैं। बता दें, सेखवां से पहले सुखदेव सिंह ढींडसा, रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा भी इस्तीफा दे चुके हैं।
– सुनीलराय कामरेड