लुधियाना-गुरदासपुर : जबर-जनाह के मामले में कई महीनों से जेल में बंद पूर्व अकाली मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह आज पटियाला की केंद्रीय जेल से रिहा हो गए। उन्हें ले जाने के लिए जेल परिसर में ही 5 गाड़ियों आई थी। जिनमें से एक में वे बैठकर अपने गृहस्थल गुरदासपुर के लिए रवाना हो गए। लंगाह को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 19 मार्च को शर्तो के अधीन जमानत दी थी, जिनमें जमानत मिलने के पश्चात सुच्चा सिंह लंगाह अदालत की आज्ञा के बिना विदेश नहीं जा सकता। अदालत ने यह भी हुकम दिया कि लंगाह इस मामले में शिकायतकर्ता या केस से संबंधित किसी भी गवाह के साथ प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर संपर्क नहीं रखने के आदेश दिए है।
स्मरण रहे कि विजिलेंस विभाग पठानकोट में तैनात एक विधवा महिला ने गुरदासपुर लोकसभा उपचुनावों से पहले लंगाह पर जबर-जनाह का मामला दर्ज करवाया था, जिसके बाद जिला पुलिस प्रमुख ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का काम डीएसपी आजाद दविंद्र सिंह और इंस्पेक्टर सीमा देवी को सौंपा था और इन दोनों की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही कानूनी राय लेकर सुच्चा सिंह लंगाह के विरूद्ध धारा 376, 384, 420 और 506 के अंतर्गत गुरदासपुर पुलिस स्टेशन में 29 सितंबर 2017 को मामला दर्ज किया गया था।
जबकि शिकायतकर्ता महिला का सिविल अस्पताल गुरदासपुर में मैडीकल करवाने के साथ ही सुरक्षा मुहिया करवाई गई थी, परंतु पिछले ही महीने 28 फरवरी को शिकायतकर्ता महिला ने गवाही के दौरान अदालत में सुच्चा सिंह लंगाह को पहचानने से इंकार कर दिया और पुलिस पर आरोप लगा दिए कि 29 सितंबर 2017 को जो केस सुच्चा सिंह लंगाह के विरूद्ध दर्ज किया गया, उस पर पुलिस ने उससे खाली सफेद कागजों पर जबरी हस्ताक्षर करवाएं थे और जो बयान दर्ज किए गए वह जबरदस्ती लिए गए थे।
जबकि सिखों की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब ने जबर जनाह के मामले में एक गुरू सिख होने का हवाला देते हुए सुच्चा सिंह लंगाह को पंथ से खारिज किया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सुच्चा सिंह लंगाह का केस किस करवट बैठता है।
– सुनीलराय कामरेड
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