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हाईकोर्ट की एकल बैंच द्वारा 25 मार्च को सुखबीर बादल और विक्रम मजीठिया को पेश होने का हुकम

अक्टूबर 2015 में श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और 3 साल पहले बहिबल कलां गोलीकांड की जांच कर चुके सेवानिवृत जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन

लुधियाना : अक्टूबर 2015 में श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और 3 साल पहले बहिबल कलां गोलीकांड की जांच कर चुके सेवानिवृत जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन द्वारा शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और पूर्व केबिनेट मंत्री विक्रमजीत सिंह मजीठिया विरूद्ध कमीशन की रिपोर्ट और कमीशन के सदस्यों की शान के विरूद्ध बयानबाजी करके हाईकोर्ट में दाखिल अपील पर जस्टिस अमित रावल की एकल बैंच ने 25 मार्च का नोटिस जारी करते हुए सुखबीर बादल और मजीठिया को निजी तौर पर पेश होने के लिए कहा है।

पिछली तारीख पर बैंच ने कहा था कि कमीशन बनाते वक्त नोटिस फिकेशन को देखा जाएंगा कि जिस वक्त सुखबीर बादल और मजीठिया ने कमीशन की रिपोर्ट और कमीशन के सदस्यों के बारे में बयानबाजी की थी कि उस वक्त कमीशन अस्तित्व में था या नहीं। बैंच ने इस बात पर संतुष्टि प्रकट की है कि कमीशन की अवधि 31 अगस्त 2018 तक थी और सुखबीर बादल और मजीठिया द्वारा कथित तौर पर सम्मान विरोधी बयानबाजी 23 और 27 अगस्त को की गई थी, लिहाजा इस बयानबाजी के वक्त कमीशन अस्तिव की सीमा में था। इस संतुष्टि के उपरांत दोनों सियासी नेताओं को नोटिस जारी करके नीजि तौर पर पेश होने केा कहा गया है।

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जानकारी के मुताबिक रंजीत सिंह कमीशन ने अदालत को कहा था कि सुखबीर बादल ने एक बार नहीं बल्कि कई बार उनके कमीशन पर पक्षपात होने के आरोप लगाएं है, जो बेबुनियाद और गलत है। सुखबीर बादल अकसर रंजीत सिंह कमीशन को झूठा करार देते थे। सेवानिवृत जस्टिस ने यह भी कहा था कि सुखबीर बादल झूठ बोलने की बजाए उनकी कमीशन के सामने पेश होकर अपनी मोजूदा जानकारी सांझी करता।

भारतीय संविधान की धारा 10-ए के तहत कमीशन या किसी भी सदस्य की शान के खिलाफ गुस्ताखी कोई भी शख्स करता है तो सजा का हकदार है। अगर शिकायत सही मानी जाती है तो सुखबीर सिंह बादल समेत मजीठिया को 6 माह की कैद और जुर्माना समेत दोनों सजाएं हो सकती है।

स्मरण रहे कि अक्तूबर 2015 में घटित श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबियों के रोष स्वरूप सिख संगत द्वारा सडक़ों पर उतरने के कारण चली गोलीकांड की जांच करने के लिए जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन पंजाब सरकार ने मुकरर किया था और उसी कमीशन ने दोनों अकाली नेताओं के खिलाफ फौजदारी कार्यवाही करने की मांग करते शिकायत दर्ज करवाई थी। हाईकोर्ट के न्यायधीश ने इससे पहले रंजीत सिंह द्वारा दिए गए सबूतों की जांच-पड़ताल भी की है और पड़ताल के पश्चात ही दोनों अकाली नेताओं को पेश होकर अपना पक्ष देने की हिदायत दी है।

– सुनीलराय कामरेड

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