शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) जैसे कानूनों को रद्द करने की मांग की है।
सुखबीर सिंह बादल ने एनएसए और यूएपीए को ”लोकतांत्रिक और दमनकारी” करार देते हुए इन कानूनों को रद्द करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
सुखबीर बादल ने आरोप लगाया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बड़े पैमाने पर इन ‘‘काले कानूनों’’ का इस्तेमाल खालसा पंथ के सदस्यों, खासकर निर्दोष सिख युवाओं के खिलाफ कर रही है।
उन्होंने शिअद की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में दावा किया कि पंजाब सरकार शक के आधार पर सिख युवकों को गिरफ्तार कर रही है और एनएसए जैसे कानूनों के तहत उनके खिलाफ मामले दर्ज कर उन्हें असम जैसे दूर-दराज के स्थानों पर भेज रही है।
बादल ने कहा, ‘‘उन्होंने अंग्रेजों के शासनकाल में पंजाबियों को दी जाने वाली काला पानी की सजा की कड़वी यादें वापस ला दी हैं। ’’
शिअद के प्रमुख ने कहा, ‘‘यहां तक कि बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित सिख परिवारों के निर्दोष सदस्यों को भी दमन का शिकार होना पड़ रहा है। ’’