लुधियाना : पुलिस कमिश्नर लुधियाना डा. सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि नशे की रोकथाम किसी एक वर्ग या विभाग की बस की बात नहीं है। इसके लिए पुलिस, हेल्थ, मीडिया, प्रशासन, एनजीओ, पालिटिक्ल व समाज सबको मिलकर अपना योगदान डालना होगा तथा इसके खात्मे को एक लोक लहर के रूप में उभारना होगा। यह बात पुलिस कमिश्नर द्वारा जागृति लहर व डा. डीएन कोटनीस हेल्थ एंड एजूकेशन सैंटर (चेरीटेबल एक्यूपंचर अस्पताल) की ओर से एचआईवी व नशे की रोकथाम के लिए पुलिस प्रशासन, पंजाब स्टेट एडस कंट्रोल सोसायटी चंडीगढ, एनजीओ व मीडिया के साथ मिलकर आयोजित एक सैमिनार को संबोधित करते हुए कही।
सैमिनार में मुखय मेहमान के तौर पर पुलिस कमिश्नर लुधियाना डा. सुखचैन सिंह गिल के अलावा चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्टे्रट डा. गुरप्रीत कौर, एडिशनल डायरेक्ट हेल्थ डा. मनप्रीत कौर छत्तवाल, इकबाल सिंह गिल, पंजाब स्पेशल सैल चंडीगढ, स्कूल संघ के उपाध्यक्ष डीएस बेदी उपस्थित हुए। जिनका स्वागत गौतम जालंधरी, बलराज खन्ना, वीके खुल्लर, डीएस बेदी, एडवोकेट राजेश मेहरा, जनरैल सिंह भट्टी व अस्पताल के मैडीकल सुपरीटेंडेंट डा. इंद्रजीत सिंह ढींगरा ने किया।
इस मौके पर अपने संबोधन में कमिश्नर पुलिस ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा डेपो कार्यक्रम की शुरूआत इसका हिस्सा है, क्योंकि अक्सर गांव-पुराने इलाके में लोगों को पता होता है कि कौन नशा करता है लेकिन इसके बारे में न तो लोग व न ही अभिभावक खुलासा करते है। डेपो वालंटियर्स गांव व इलाके के होंगे तो वह नशा पीडित की समस्या से लेकर हर प्रकार की जानकारी से अवगत होंगे तथा यहां तक कि नशे की सप्लाई व डिमांड दोनों को बंद करवाने में सहायक होंगे। नशे की समस्या के हल के लिए इनफोर्समेंट, रिहलेबलिटेशन व अवेयरनैस बहुत जरूरी है तथा इसे केवल कुछ सैमिनार तक सीमित न करके सबको मिलकर एक लहर बनाने की जरूरत है। यदि ऐसा होता है तो नशे की समस्या 99 फीसद हल हो जाएगी। इसमें 80 प्रतिशत सामाजिक भूमिका जरूरी है।
इसमें पीडित दोबारा उस ओर न जाए, इसका भी बेहद ध्यान देना जरूरी होता है। इसके लिए पीडित के आस पास के वातावरण को भी सुधारने की जरूरत होती है। इस मौके पर अपने संबोधन में एडिशनल डायरेक्ट हेल्थ डा. मनप्रीत कौर छत्तवाल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 60 हजार से 70 हजार के करीब नशा करने वालों का आंकडा है। जिसमें हेल्थ विभाग केवल 13 हजार से 14 हजार पर ही काम कर पा रहा है। क्योंकि नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से अभी इसकी ग्रामीण एरिया में मैपिंग नहीं की गई है तथा शहरी इलाकों में ही इस पर काम हो रहा है।
उन्होंने मीडिया से भी नशे के आंकडों आदि को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए सहयोग की अपील की। इस मौके पर सीजेएम डा. गुरप्रीत कौर ने एनडीपीएस व नशे से संबंधित मामले की महिला आरोपियों के कानूनी अधिकारों के बारे में विस्तारपूर्वक अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को इसकी जानकारी संबंधित आरोपी के परिवार को देनी होती है तथा महिला आरोपी के मामले में साथ में महिला पुलिस कांस्टेबल का होना बेहद जरूरी है। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से नशे से संबंधित एक राज्य स्तरी प्रैजेंटेशन भी दी गई।
– रीना अरोड़ा
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