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अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा इस्तीफा देने की बनी संभावनाएं

पंजाब में मौजूदा हालात के मध्यनजर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा किसी भी वक्त इस्तीफा दिए जाने की संभावनाएं प्रबल है

लुधियाना-अमृतसर : पंजाब में मौजूदा हालात के मध्यनजर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा किसी भी वक्त इस्तीफा दिए जाने की संभावनाएं प्रबल है। सिख हलकों के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल के मुख्य संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, प्रधान शिरोमणि अकाली दल और पूर्व उपमुख्यमंत्री पंजाब अपनी नकामियों को छिपाने के लिए जत्थेदार को बलि का बकरा बनाएंगे। हालांकि पिछले 8 साल के कार्यकाल के दौरान सिख कौम की बजाएं बादल परिवार के हितों की रक्षा करते रहें है ज्ञानी गुरबचन सिंह।

ज्ञानी गुरबचन सिंह जत्थेदार अकाल तख्त ने अपने कार्यकाल के दौरान सबसे बड़ी गलती सच्चा सौदा सिरसा के गुरमीत राम रहीम को बिन मांगे माफी देकर की। इसी साजिश को बेनकाब उस समय के दमदमा साहिब के कार्यकारिणी जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह ने करते हुए कहा था कि ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा उन्हें साथ लेकर प्रकाश सिंह बादल सुखबीर सिंह बादल की चंडीगढ़ स्थित कोठी में खड़ा किया गया था।

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उस वक्त पंजाब में बादल सरकार थी। पंथ से छेके गए गुरमीत सिंह को माफी देने के विरोध में देश-विदेश की संगत ने सडक़ों पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार किया था और गर्मख्याली दलों ने जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह का मुकम्मल बाइकाट करके उनके बराबर तरनतारन की पावन धरती चब्बे में सरबत खालसा के नए जत्थेदार के रूप में जेल में बंद भाई हवारा को और भाई ध्यान सिंह मंड को कार्यकारिणी जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब नियुक्त कर दिया था। इसी के साथ अन्य तख्तों के जत्थेदारों के बराबर भाई बलजीत सिंह दादूवाल और भाई अमरीक सिंह अजनाला को सिंह साहिबान के रूप में मान्यता दे दी थी। पिछले 3 सालों के दौरान सिख कौम दुविधा में है कि वे जत्थेदार किनको मानें।

स्मरण रहे कि सिख इतिहास में पहली बार सिखों की सिरमौर संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी, अकाल तख्त साहिब, दिल्ली कमेटी और शिरोमणि अकाली दल पर कब्जा होने के कारण प्रधान और जत्थेदार लिफाफों से निकलते रहे है। अब अकाली दल के वरिष्ठ आगु सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को इस्तीफा देने के लिए कहा है।

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सिख पंथक हलकों का मानना है कि अकाल तख्त के जत्थेदार जिस सत्कार के लिए जाने जाते थे, उनके विपरीत उन्हें घर की तरफ धकेल दिया जाता है। इस वक्त अकाली आगुओं को सिख संगठनों के रोष का सामना करना पड़ रहा है, जिसका ध्यान दूसरी तरफ करने के लिए जत्थेदार को घर वापिस और उनके स्थान पर नया जत्थेदार नियुक्त किए जाने के लिए जमीन तैयार की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि ज्ञानी गुरमुख सिंह को बादल परिवार के इशारे पर पुन: हैड ग्रंथी अकाल तख्त साहिब पर तैनात किया जा चुका है। अब चर्चा है कि जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सिख जगत के बढ़ते दबाव के बीच नए जत्थेदार नियुक्त कर दिए जाएं।

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