लुधियाना : बरगाड़ी मोर्चे को सफल बताते हुए सरबत खालसा द्वारा नियुक्त किए गए श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड ने बातचीत के दौरान कहा कि इंसाफ मोर्चे की समाप्ति के समय कुछ भी गलत नहीं हुआ और ना ही किसी भी प्रकार की किसी से कोई सोदेबाजी हुई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पंथक आगुओं में किसी भी प्रकार की कोई दरार या मतभेद नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि संघर्ष के दौरान छोटे- छोटे मतभेद होते रहते है, यह उनके संगठन का अंदरूनी मामला है, इसे मिलबैठकर सुलझा लिया जाएंगा। उन्होंने यह भी कहा कि 20 दिसंबर को पंजाब की पावन धरती श्री फतेहगढ़ साहिब में होने वाली पंथक आगुओं की विशेष बैठक में सबकुछ स्पष्ट हो जाएंगा। उन्होंने कहा कि इस बैठक में समूह सिख जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। जत्थेदार मंड ने यह भी कहा कि आने वाले संघर्ष का ऐलान भी 20 दिसंबर को विचार-विमर्श उपरांत ही किया जाएंगा।
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स्मरण रहे कि पिछले 6 माह के दौरान जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड और तख्त श्री दमदमा साहिब- तलवंडी साबो के जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल समेत जत्थेदार भाई अमरीक सिंह अजनाला व अन्य पंथक नेता एक ही सुर में फरीदकोट स्थित बरगाड़ी की दानामंडी में इंसाफ मोर्चे के नाम पर संघर्ष करते रहे है किंतु रविवार को हुई बरगाड़ी मोर्चे की समाप्ति के उपरांत बड़े चेहरे बलजीत सिंह दादूवाल मोर्चे से अलग-थलग नजर आ रहे है।
मोर्चे की सफलता के उपरांत जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड ने दिन के वक्त श्री हरिमंदिर साहिब में शुक्राना करते हुए माथा टेका तो कुछ समय बाद ही बलजीत सिंह दादूवाल भी शाम के वक्त हरिमंदिर साहिब पहुंचे थे। इस अवसर पर दादूवाल ने मोर्चे की प्राप्तियां बताने के उपरांत नाराजगीके स्वर में कहा कि भाई ध्यान सिंह मंड तानाशाही की तरह भूमिका निभा रहे है। बाकी के जत्थेदारों की उन्हें कोई परवाह नहीं।
दादूवाल ने यह भी कहा कि वह मोर्चा समाप्ति के जल्दबाजी में लिए गए फैसले से निराश है। उन्होंने कहा कि वह पिछले काफी समय से महसूस कर रहे थे कि भाई मंड अपनी मनमर्जी कर रहे है। परंतु संगठन के लिए वह चुप थे। उन्होंने कहा कि संगत में मोर्चे के प्रति गलत संदेश गया।
दादूवाल ने यह भी कहा कि उन्होंने दिन-रात मोर्चे की सफलता के लिए एक किया पंरतु मंड ने जल्दबाजी में फैसला लिया है। उन्होंने कहा भाई मंड को कहा था कि जहां 192 दिन बैठे है वही एक महीना और बैठ जाते तो जेल की सखींचों के पीछे निर्दोष बंदी सिंह रिहा हो जाते और बहिबल कलां और कोटकपूरा गोलीकांड के दोषी पुलिस द्वारा गिरफतार हो जाते परंतु भाई मंड ने उनकी एक ना सुनी। भविष्य में एक साथ चलने के बारे पूछे जाने पर दादूवाल ने कहा कि वह 20 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।
सुनीलराय कामरेड