फतेहगढ़ साहिब (पंजाब) : कड़कड़ाती ठंड में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरुवार को यहां गुरु गोबिंद सिंह के सबसे छोटे पुत्रों को शहीदी सभा के प्रथम दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
तीन दिवसीय वार्षिक शहीदी सभा का आयोजन दसवें सिख गुरु के सबसे छोटे पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत की याद में किया जाता है जिन्हें मुगल बादशाह औरंगजेब के राज में जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया था।
आयोजन की शुरुआत ऐतिहासिक गुरुद्वारा ज्योति स्वरूप में गुरु ग्रन्थ साहिब के अखंड पाठ से हुई जहां साहिबजादों का अंतिम संस्कार हुआ था।
श्रद्धालुओं ने दसवें गुरु की माँ माता गुजरी को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
उन्होंने पवित्र कुंड में स्नान करने के अलावा ऐतिहासिक “ठंडा बुर्ज”, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब और गुरुद्वारा ज्योति स्वरूप में भी मत्था टेका। शुक्रवार को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
पहले शहीदी सभा के दूसरे दिन ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां अपने सम्मेलन आयोजित करती थीं।
शहीदी सभा को पहले ‘शहीदी जोर मेला’ कहा जाता था।
अब अकाल तख्त जत्थेदार के निर्देश पर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी और बसपा सभी ने यह आयोजन बंद कर दिया है।
शहीदी सभा के अंतिम दिन 28 दिसंबर को एक नगर कीर्तन का आयोजन होगा जो गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब से गुरुद्वारा ज्योति स्वरूप तक जाएगा।
उपायुक्त अमृत कौर गिल ने कहा कि प्रशासन ने तीन दिवसीय आयोजन के निर्बाध संचालन के लिए सभी इंतजाम किये हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने तीर्थयात्रियों के लिए मुफ्त रैन बसेरे लगाए हैं और पहली बार महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और विकलांगों के लिए तीस ऑटो रिक्शा की सुविधा प्रदान की जाएगी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमनीत कोंडल ने बताया कि क्षेत्र को पांच सेक्टरों में विभाजित किया गया है।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के लिए 11 पुलिस अधीक्षक, 26 पुलिस उपाधीक्षक, राष्ट्रीय कैडेट कोर के वालंटियर और ढाई हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
इसके अतिरिक्त एक भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के निरीक्षण में दो सौ उन्नत श्रेणी के सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।