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सीएए के हक में भाजपा के खिलाफ चुनाव क्यूं नहीं लड़ते बादल -‘आप’

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर व विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने शिरोमणी अकाली दल (बादल) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठजोड में पड़ी दरार संबंधी अकालियों (बादलों) द्वारा दी जा रही सफाई को दोगलेपन का शीर्ष करार दिया है।

लुधियाना : आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर व विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने शिरोमणी अकाली दल (बादल) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठजोड में पड़ी दरार संबंधी अकालियों (बादलों) द्वारा दी जा रही सफाई को दोगलेपन का शीर्ष करार दिया है। 
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बेशक यह भाजपा और अकाली दल (बादल) का अंदरूनी मामला है, परंतु बादल दलियों की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के हवाले से जो सफाई दी जा रही है, वह वास्तविक्ता से दूर है। चीमा ने कहा कि जब से सीएए /एनसीआर/एनपीआर विवाद शुरू हुआ है। तब से अपनी पार्टी की ओर से बादलों ने या तो चूप्पी साध ली और या फिर दोगला रवैया अपनाया। दिल्ली में संसद के अंदर बतौर संसद मैंबर सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल ने सीएए के हक में वोट डाली, जबकि नैतिक, सैद्धांतिक और विवहारिक तौर पर किसी मुद्दे का विरोध करन या हक में खड़े होने का सबसे कारगर तरीका वोट होता है, जो बादल ने मोदी सरकार के समर्थन में सीएए के हक में डाला है। 
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि संसद में सीएए के हक में भुगतने वाले सुखबीर सिंह बादल जोड़ी ने अपनी खानदानी आदत के मुताबिक दिल्ली में ओर, पंजाब में ओर और चण्डीगढ़ में ओर बोली बोलने लगे हैं। संसद के अंदर हक में भुगतने और पंजाब-मालेरकोटला में मुस्लिम भाईचारो का हवाला देना बादलों के सीएए सम्बन्धित स्टैंड की पोल खोलता है।
चीमा ने कहा कि 20 जनवरी (सोमवार) की दोपहर के बाद अकालियों (बादल दल) का सीएए के संबंध में ‘कुर्बानी भरा’ ऐलान वास्तव में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की कुर्सी को बचाने की कोशिश का हिस्सा है। 20 जनवरी से पहले संसद से बाहर यहां तक कि पंजाब विधान सभा का सीएए सम्बन्धित स्टैंड दोहरा रहा है। चीमा ने कहा कि यदि अकाली दल (बादल) सीएए के विरोध में दिल्ली के चुनाव से पीछे हट सकता है तो सीएए के मुद्दे पर भाजपा को सबक सिखाने के लिए केंद्रीय मंत्री की कुर्सी की प्रवाह किए बिना चुनाव क्यूं नहीं लड़ सकता?
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि भाजपा ने बादलों की खिसक चुकी जमीन को देखते अकाली दल को दिल्ली के चुनाव में से ‘मक्खन में से बाल’ की तरह बाहर फैंक दिया। इस बेइज़्जती पर पर्दा डालने के लिए बादलों ने सीएए का हवाला दिया है, जबकि वास्तविक्ता यह है कि भाजपा ने बादलें को दिल्ली में अकाली दल के चुानव निशान पर एक भी टिकट न देने से साफ जवाब देते चेतावनी दी है कि यदि अकाली दल (बादल) ने अकेले या किसी अन्य पार्टी के साथ गठजोड करके दिल्ली चुनाव लड़ी तो हरसिमरत कौर बादल की मोदी मंत्री मंडल से छुट्टी तह है।
चीमा ने कहा कि बादलों ने हरसिमरत कौर की वजीरी बचाए रखने के लिए दिल्ली चुनाव लडऩे से मजबूरी-वश किनारा किया है, परंतु अपनी राजनैतिक शाख को बचाने के लिए बादल अब सीएए का हवाला देने लगे हैं, जो हकीकत नहीं है, क्योंकि बादलों ने 20 जनवरी से पहले कभी भी सीएए के विरोध में स्पष्ट स्टैंड नहीं लिया था। 
– रीना अरोड़ा

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