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गम-गुस्से और लाचारी के बीच ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों में से 36 का हुआ अंतिम संस्कार

विजय दशमी के पर्व पर अमृतसर के जोड़ा फाटक के नजदीक घटित दर्दनाक हादसे में मारे गए लोगों में से पोस्टमार्टम और पहचान के उपरांत 36 का अंतिम संस्कार उनके

लुधियाना-अमृतसर : विजय दशमी के पर्व पर अमृतसर के जोड़ा फाटक के नजदीक घटित दर्दनाक हादसे में मारे गए लोगों में से पोस्टमार्टम और पहचान के उपरांत 36 का अंतिम संस्कार उनके परिजनों और वारिसों की देखरेख में प्रशासन और समाज सेवी संस्थाओं की मोजूदगी में कर दिया गया, जिनमें से 29 मृतकों का संस्कार दुर्गायाणा मंदिर, 5 मृतकों का मुकमपुरा शमशान घाट और 2 मृतकों का अंतिम संस्कार बाबा शहीदा की शमशान भूमि में किया गया, जबकि 4 लाशों की शिनाख्त के उपरांत उनके परिजनों की हिदायतों के मुताबिक उत्तर प्रदेश रवाना कर दी गई है।

जबकि मृतकों की अंतिम शांति के लिए श्री दरबार साहिब में 23 अक्तूबर को श्री अखंड पाठ साहिब का भोग होगा। शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से रेल हादसे के दौरान मारे गए लोगों की आत्मिक शांति के लिए 21 अक्तूबर की सुबह श्री अखंड पाठ साहिब रखे जाएंगे। इस संबंध में जानकारी कमेटी के मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह ने दी।

अमृतसर हादसे पर ड्राइवर का बयान, ‘लगाई थी इमरजेंसी ब्रेक, पर पथराव देख नहीं रोकी ट्रेन’

अलग-अलग शमशान घाटों पर मृतकों के अंतिम संस्कार के वक्त जहां उनके परिजनों का अपनों के बिछडऩे के गम में रो-रोकर बुरा हाल था वही अमृतसर की समाज सेवी संस्था और हिंदू-मुस्लिम सिख भाईचारे ने मिलजुलकर पीडि़तो के आंसुओं को पौछा। इस दौरान सदभावना की जिंदा मिसाल उस वक्त देखने को मिली जब अस्पतालों में पीडि़तों के लिए लंगर प्रथा चलाई गई। किसी ने दवा-दारू के लिए सहायता दी तो किसी ने गुपचुप तरीके से आर्थिक मदद भी रोते-बिलखते परिवारों को अपने ही स्तर पर दे डाली। इसी बीच कुछ व्यक्तियों ने लाशेां के अंतिम संस्कार के लिए कफन व्यवस्था करवाई।

आज सिविल अस्पताल युद्वस्तर पर डॉक्टरी पैनलों ने मृतकों के शतविक्षप्त शवों के पोस्टमार्टम किया। इस दौरान पुलिस मुलाजिम और समाज सेवी संस्थाओं के सदस्य भी रोते-बिलखते परिजनों को मृतकों की शिनाख्त करवाने में मदद करते दिखे। जबकि पुलिस ने सिविल अस्पताल और गुरूनानक देव अस्पताल में हैल्प डैस्क स्थापित किया हुआ है।

जोड़ा फाटक पर हुए दर्दनाक हादसा देखकर लोगों का बुरा हाल था, जिनके घरों के चिराग नहीं मिल पाएं उनका रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। घटना स्थल पर शवों से कपड़ों के टुकड़े उठाकर अपने-अपने वारिसों की पहचान लोग अस्पताल में करते दिखे। मृतकों के अंग तलाशनें में भी परिजनों को काफी मुश्किलें हुई। एक बेबस मां अपने जिगर के टुकड़े गुल्लू को तलाश करते हुए पागलों जैसा व्यवहार करती दिखी।

उसके मुताबिक उसका लाल दशहरे वाले दिन बोलकर गया था कि वह ट्रेन ट्रैक के पास जाकर जलता रावण देखेंगा, उसे क्या मालूम था कि वह कभी वापिस नहीं आएंगा। उधर एक मृतक बच्चे के दादा तरसेम सिंह के मुताबिक 15 साल का पोता सुबह-सवेरे से ही दशहरे पर जाने की जिद कर रहा था। सख्ती से मना करने के बावजूद वह शाम 4 बजे रेलवे ट्रैक पर दशहरा देखने चला गया और अब उसके क्षत-विक्षप्त शव को दाह-संस्कार के लिए लाया गया है।

दशहरा मनाने गए 19 साल के मनीष के पिता को भी अपने बेटे के वापिस आने की उम्मीद है। मनीष अमृतसर रेलवे ट्रेक पर खड़ा होकर दशहरे का त्यौहार मना रहा थ कि यह हादसा हो गया। उसके पिता का दावा है कि वह ना जख्मियों में मिला है और ना ही उसकी शिनाख्त हुई। बाप को अपने बेटे की वापिस आने की उम्मीद बाकी है और वह सिविल अस्प्ताल के मुर्द घाट के बाहर बैठा इंतजार में है कि कही उसका बेटा मनीष दिखाई दे।

– सुनीलराय कामरेड

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