लुधियाना : शहर में लावारिस कुत्तों को लेकर नगर निगम गंभीर नहीं है। निगम की लापरवाही की वजह से शहर के पॉश इलाके में एक पाच वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। बच्ची पाच अक्टूबर को अपने घर के बाहर स्कूल बस का इंतजार कर रही थी और उसी वक्त कुत्ता उस पर झपट पड़ा।
हालाकि कुत्ते ने उसे काटा नहीं, लेकिन उसके 17वें दिन यानि 22 अक्टूबर को बच्ची इरीटेट होने लगी और अजीब सी हरकतें करने लगी, जिसे परिजनों ने पहले डीएमसी अस्पताल में दाखिल कराया और उसके बाद चंडीगढ़ पीजीआइ ले गए। अगले दिन बच्ची ने पीजीआइ में दम तोड़ दिया और डॉक्टरों ने संदेह जताया कि बच्ची की मौत रैबीज की वजह से हुई। बच्ची की मौत की खबर मिलने के बाद नगर निगम के हाथ पाव फूल गए और सोमवार को मेयर बलकार सिंह खुद बच्ची के परिजनों से मिले। साथ ही निगम ने एहतियात के तौर पर इलाके के सभी लावारिस कुत्ते उठा लिए।
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बच्ची के पिता अमनदीप सिंह पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने बताया कि पाच अक्टूबर को अनीस घर के गेट पर खड़ी थी और उसके हाथ में रोटी थी। वह कई दिनों से घर के बाहर कुत्ते को रोटी दे रही थी। उस दिन कुत्ते ने उसके हाथ में रोटी देखी और उस पर झपट पड़ा और वह नीचे गिर गई। उन्होंने बताया कि हालाकि कुत्ते ने उसे काटा नहीं था। उसके माथे पर हल्की सी चोट लगी थी और रोते हुए अंदर आई।
उन्होंने बताया कि उसके बाद उन्होंने इस घटना को हल्के में लिया, लेकिन 22 अक्टूबर को जब वह स्कूल से घर आई तो अजीब सी हरकतें करने लगी। उसकी मां ने बताया कि बच्ची ने अपने सिर पर काफी तेल लगा दिया और जोर से अपने बालों को खींचने लगी। इसी दौरान उसके मुंह से झाग आने लगा। कुछ दिनों से वह पानी से भी डर रही थी।
कुत्ते की लार से फै लता है रैबीज
नगर निगम के वेटरनरी डॉक्टर यशपाल सिंह ने बताया कि बच्ची की मौत रैबीज से ही हुई है यह अभी तय नहीं है। क्योंकि बच्ची को कुत्ते ने काटा नहीं था। उन्होंने कहा कि कुत्ते की लार की वजह से रैबीज फैलता है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि जब कुत्ता काटे तभी रैबीज होगा।
उन्होंने बताया कि अगर कुत्ते की लार हाथ पर लग जाए और हाथ को मुंह में या आंख से मले तो भी रैबीज हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस बच्ची के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा।
ब्रैन एटोप्सी टेस्ट होती है रैबीज की पुष्टि
डॉ. यशपाल सिंह ने बताया कि बच्ची की मौत रैबीज से ही हुई इसकी अब पुष्टि नहीं हो सकती है। क्योंकि इस बच्ची के ब्रेन का एटोप्सी टेस्ट नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब तक ब्रेन का एटोप्सी टेस्ट नहीं होता है तब तक किसी भी मरीज या कुत्ते में रैबीज की पुष्टि नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि अगर किसी कुत्ते को रैबीज हो जाता है तो उसकी 30 दिन में मौत हो जाती है। हर माह आते हैं 550 से अधिक केस
शहर में कुत्तों का कितना आतंक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिविल अस्पताल में हर माह 550 के करीब डॉग बाइट के केस आते हैं। यह सिर्फ सिविल अस्पताल का डाटा है। जबकि निजी अस्पतालों में इससे भी ज्यादा केस आते हैं। हालाकि अस्तपाल में फिलहाल एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध हैं।
कुत्ते के काटने पर तुरंत लगवाएं एंटी रैबीज
डॉ. यशपाल सिंह का कहना कि लावारिस कुत्तों के साथ-साथ पालतू कुत्ते के काटने से भी रैबीज हो सकता है। उन्होंने बताया कि अगर कुत्तों को एंटी रैबीज इंजेक्शन लग भी जाए तो भी उनके काटने या उनकी लार से रैबीज होने का खतरा बना रहता है। इसलिए जब भी कुत्ता काटे या उसकी लार मुंह या आख तक पहुंचती है तो तुरंत एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवा लेना चाहिए।
– सुनीलराय कामरेड