लुधियाना- अमृतसर : भारत-पाकिस्तान की आजादी से पहले नवंबर 1920 में अस्तित्व में आई सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी का स्थापना दिवस दरबार साहिब स्थित शिरोमणि कमेटी मुख्य कार्यालय तेजा सिंह समुद्री हाल में उत्साह और हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया।
शिरोमणि कमेटी के समूह मुलाजिमों द्वारा आरंभ किए गए श्री अखंड पाठ साहिब के भोग उपरांत हजूरी रागी जत्थों द्वारा गुरबाणी कीर्तन किया गया और इस मोके पर श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह व शिरोमणि कमेटी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल, सदस्य राम सिंह, मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह, सचिव दलजीत सिंह बेदी, सुखदेव सिंह भूरा कोहना, प्रताप सिंह और मलकीत सिंह बहिड़बाल समेत समूह अधिकारी और कर्मचारियों ने श्रद्धा के साथ शिरकत की। इस अवसर पर भाई लोंगोवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि इस महान सिख संस्था की स्थापना का इतिहास कुर्बानियों से भरपूर है।
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उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी की स्थापना इतिहासिक गुरूधामों को महंतों के कब्जों से छुड़वाकर संगत के हाथों में देने का वह सफर है जिसको तय करने के लिए सिख कौम को शहादतों के सम्मुख होना पड़ा। सिख कौम की यह महान संस्था आज एक शताबदी का सफर तय करने वाली है और इस दौरान इस संस्था ने प्रत्येक क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए।
भाई लोंगोवाल ने शिरोमणि कमेटी की स्थापना से लेकर वर्तमान समय का जिक्र करते हुए कहा कि सिख कौम की उन्नति के लिए संघर्ष करने वाले आगु पैदा करने में भी इस संस्था का प्राथमिक कर्तव्य रहा है। उन्होंने कमेटी के पदाधिकारियों और मुलाजिमों को अपील की कि वे अपनी सेवा के दौरान इस संस्था की प्रतिभा को बढ़ाने का यत्न करें। उन्होंने यह भी कहा कि यह एकमात्र ऐसी संस्था है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिखों की मुश्किलें हल करने के लिए अगुवाई करती है।
इस अवसर पर सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा कि शिरोमणि कमेटी सिखों की वह संस्था है, जिसने समस्त कौम को संगठित करने में भूमिका निभाई है। मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह ने भी इतिहास और अलग-अलग क्षेत्रों में इस संस्था द्वारा दिए गए योगदान का खुलासा किया।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग संस्थाओं में 25 हजार के अलग-अलग मुलाजिम सेवा निभा रहे और इस प्रकार कौम के लोगों को बड़े स्तर पर रोजगार देने वाले यह संस्था है। इस मोके पर शिरोमणि कमेटी के 4 पूर्व मुललाजिमों को उनकी बेहतर सेवाओं के बदले में सम्मानित किया गया।
– सुनीलराय कामरेड