लुधियाना- अमृतसर : अक्सर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा भारतीयों के साथ अधिकांश तौर पर अमानवीय व्यवहार किए जाने की खबरें आती रहती है। इस बार वहां के हुकमरानों ने मानवता को आधार बनाते हुए 29 भारतीय कैदियों को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा दिया है। रिहा हुए कैदियों में 26 मछुआरे शामिल है। रिहा किए गए कैदी पंजाब के अटारी वाघा बार्डर के जरिए भारत पहुंचे है।
रिहा हुए कैदियों में से केंद्रीय जेल लाहौर में पिछले 36 सालों से अमानवीय यातनाएं झेल रहे भारतीय नागरिक गजानंद शर्मा भी शामिल है, जिन्हें पाकिस्तान ने रिहा किया है। गजानंद को लेने अटारी सरहद पर उनके बेटे सहदेव शर्मा आएं हुए थे। उन्होंने कहा कि आजादी दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार के प्रयासों के जरिए पूरे देश के लिए यह एक सौगात है।
क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर ने कोर्ट में जज से कहा – वह हरियाणा पुलिस में है , जज बोले -जो भी हो, जेल तो जाना ही पड़ेगा’
हालांकि दूसरी तरफ पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने जारी बयान में स्पष्ट किया कि भारतीय कैदियों को रिहा करना एक मानवीय कदम है,जोकि 14 अगस्त को पाकिस्तान की तरफ से आजादी के अवसर पर उठाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सियासीकरण ना करना पाकिस्तान की नीति का एक हिस्सा है।
हालांकि इन रिहाईयों के लिए शांति के मसीहा कहे जाने वाले ईदी फाउंडेशन के किरामत अली और पाकिस्तान इंडिया फार्म फार पीस एंड डैमोके्रसी के आगु नामवर कलमनफीस जतिन देसाई का अहम योगदान रहा है।
अमन के प्रहरी जतिन देसाई और फोकलर रिसर्च एकेडमी के आगु रमेश यादव ने मांग की है कि देानों देशों की जेलों में बंद कैदियों केा रिहा करके उनके मुलकों में भेजा जाएं। यहां उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में जल्द बनने जा रही नई सरकार के मुखी इमरान खान प्रधानमंत्री कै तौर पर शपथ उठाने जा रहे है और आम लोगों को उम्मीद है कि इनके आने पर भाईचारे के अच्छे व्यवहार देखने केा मिलेंगे।
– सुनीलराय कामरेड