दशहरे के मौके पर रावण दहन देखने के लिए 20 वर्ष से भी अधिक समय से लोग जोड़ा फाटक पर खाली पड़े मैदान में एकत्रित होते रहे हैं जो रेलवे पटरियों से महज 50 मीटर दूर है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की दशहरा उत्सव की खुशियां शुक्रवार को तब मातम में बदल गईं जब एक ट्रेन की चपेट में आने से कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई। ये लोग वहां रावण के पुतले का दहन देखने के लिए जुटे थे।
55 वर्षीय जसवंत ने कहा कि इस प्लॉट में रावण का पुतला जलाया जाता है जबकि रामलीला रेलवे पटरियों से थोड़ी दूरी पर आयोजित की जाती है। जसवंत ने दावा किया कि आतिशबाजी के शोर के कारण लोगों को जालंधर से आती ट्रेन के हॉर्न की आवाज सुनाई नहीं दी। उन्होंने दावा किया कि इस ट्रेन के जालंधर से अमृतसर जाने से पहले भी दो ट्रेनें पटरियों से गुजरीं लेकिन उन्होंने अपनी गति धीमी कर ली थी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हादसा शुक्रवार की शाम करीब 7 बजकर 10 मिनट पर हुआ जब रावण दहन देख रहे लोग पटरियों पर खड़े थे। एक अन्य स्थानीय निवासी बलविंदर ने कहा, ”इस खाली प्लॉट पर 20 वर्ष से अधिक समय से रावण का पुतला जलाया जाता रहा है लेकिन इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई।” गौरतलब है कि अमृतसर में जोड़ा फाटक के समीप शुक्रवार शाम को रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े लोग एक ट्रेन की चपेट में आ गए जिससे कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई और 72 अन्य घायल हो गए।