अकाली दल की नेता और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष जागीर कौर को राहत देते हुए, पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उनकी बेटी हरप्रीत कौर की रहस्यमयी हत्या के आरोप से उन्हें बरी कर दिया। उच्च न्यायालय ने सीबीआई की विशेष अदालत के मार्च, 2012 के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कौर को दोषी ठहराया गया था और पांच वर्ष की जेल व 5,000 रुपये की सजा सुनाई गई थी।
उन पर अपनी बेटी का जबरन गर्भापात कराने, उसे गलत तरीके से कैद में रखने, अपहरण करने और उसके विरुद्ध आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। न्यायमूर्ति ए.बी. चौधरी और न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को सीबीआई के आदेश को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
कौर 1999-2000 के दौरान शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की अध्यक्ष थी। वह सिखों की इस धनी संगठन की पहली अध्यक्ष थी। कौर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अगुवाई वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद हालांकि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कपूरथला जेल में रखा गया था। सीबीआई अदालत ने हालांकि उन्हें अपनी बेटी की हत्या मामले से बरी कर दिया था लेकिन एजेंसी ने उन्हें हत्या की साजिश रचने का दोषी पाया था।
जागीर कौर की बेटी हरप्रीत कौर (19) की 20 अप्रैल, 2000 को रहस्मय परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसके बाद उसके परिजनों ने उसका जल्दबाजी में अंतिम संस्कार कर दिया था। हरप्रीत के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। उस समय बादल सरकार सत्ता में थी। हरप्रीत ने घर में बताए बिना एक अन्य जाति के युवक कमलजीत सिंह से शादी कर ली थी, जिसके बाद उसकी मां व परिजन कथित रूप से उससे काफी नाराज हो गए थे। कमलजीत कपूरथला जिले के बेगोवाल गांव का निवासी है, जहां जागीर कौर एसजीपीसी की अध्यक्ष थीं।