लुधियाना- सुल्तानपुर लोधी : प्रथम पातशाहा श्री गुरु नानक देव जी के शुभ विवाह पर्व की याद में आज बारात रुपी नगर कीर्तन शनिवार को गुरुद्वारा श्री बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी से बटाला के लिए धूमधाम व शाही ठाठ बाठ से रवाना हुआ। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्र-छाया एवं पांच प्यारों की अगुवाई में पुष्पवर्षा के बीच बाबा नानक की बरात सरबत के भले की अरदास के उपरांत रवाना हुई।
बारात में ढोल नगाड़ों व बैंड बाजों व हाथी घोड़ों की मौजूदगी में अनेक संत महापुरुषों के अलावा एसजीपीसी सदस्य, गणमान्यों समेत हजारों की तदाद में संगतें शामिल थी। हर गांव व पूरे रास्ते में संगतें दोनों हाथ जोड़े बारात रुपी नगर कीर्तन के इंतजार में पलकें बिछाए घंटों तक खड़े रहे। इस दौरान रास्ते में जगह-जगह लंगर का आयोजन किया गया।
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श्री गुरु नानक देव जी ने गृहस्थ जीवन सुल्तानपुर लोधी में ही शुरू किया था। गुरु जी का विवाह बटाला में माता सुलखनी जी से हुआ था। गुरु जी सुल्तानपुर लोधी से अपने निवास स्थान से बारात लेकर बटाला गए थे, उसी दिन की महत्ता के मद्देनजर गुरु जी के विवाह पर्व को धूमधाम व श्रद्धा से मनाया जाता है। बीती शाम बटाला की संगत सुल्तानपुर लोधी से विवाह के लिए शगुन देने और बरात के रूप में नगर कीर्तन लेने पहुंची।
सुल्तानपुर लोधी में बिताए 14 साल 9 माह 13 दिन
सुल्तानपुर लोधी की धरती पर श्री गुरु नानक देव जी 14 साल 9 महीने 13 दिन तक रहे। यहीं उनकी शादी हुई। इसी धरती से उन्होंने विश्व कल्याण के लिए उदासियों का आगाज किया। सुल्तानपुर लोधी में गुरु साहिब से संबंधित 9 गुरुद्वारा साहिब हैं, जिनसे गुरु साहिब का इतिहास जुड़ा हुआ है।