पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दशहरा की शाम को हुए अमृतसर ट्रेन हादसे को लेकर राज्य सरकार से उन्हें बर्खास्त करने और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की मांग पर रविवार को कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
शिअद ने यह मांग इसलिए की थी क्योंकि सिद्धू की पत्नी ने शुक्रवार को जोड़ा फाटक के समीप रेलमार्ग के पास एक ‘अनिधकृत’ दशहरा कार्यक्रम की कथित रुप से अध्यक्षता की थी। इसी कार्यक्रम के दौरान तेज गति से एक ट्रेन वहां रावण दहन देखने के लिए पटरियों पर खड़े लोगों को कुचलते हुए निकल गयी थी। हादसे में 59 लोगों की जान चली गयी थी। शिअद की मांग पर मीडिया द्वारा पूछे गये सवालों पर सिद्धू ने बस इतना कहा, ”कुछ और, कुछ और , कुछ और (पूछिए)…. कोई टिप्पणी नहीं।”
शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों के सदस्यों से शनिवार की रात को भेंट की थी और इस घटना को ‘नरसंहार’ करार देते हुए सिद्धू की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग की थी। वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कार्यक्रम के आयोजकों एवं सिद्धू की पत्नी के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज करने की भी मांग की थी।
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मजीठिया ने नवजौत कौर सिद्धू पर आरोप लगाया कि वह हादसे के शिकार लोगों की परवाह किये बगैर कार्यक्रम स्थल से चली गयी थीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि रावण का पुतला दहन करने में इसलिए विलंब हुआ क्योंकि सिद्धू की पत्नी कार्यक्रम में देर से आई थीं। वह कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं।
नवजोत कौर सिद्धू ने कहा था कि उन्हें आयोजन स्थल से रवाना होने के बाद इस ‘‘त्रासद घटना’’ की जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा था कि हादसे की जानकारी मिलने के बाद वह घायलों को देखने अस्पताल चल गईं। उन्होंने कहा था कि डॉक्टर होने के नाते उन्होंने कुछ पीड़ितों का खुद ही इलाज किया और घायलों की देखभाल के लिए कुछ और डॉक्टरों की व्यवस्था भी की।