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पंथ से छेके गए सुच्चा सिंह लंगाह ने जत्थेदार अकाल तख्त को लिखा खत, कहा ‘मुझे वापिस पंथ में लिया जाएं’

लुधियाना-अमृतसर : चीफ खालसा के पूर्व प्रधान चरणजीत सिंह चड्ढा के पश्चात शिरोमणि अकाली दल बादल के दबंग आगु और समय-समय पर अलग -अलग मुददों को

लुधियाना-अमृतसर : चीफ खालसा के पूर्व प्रधान चरणजीत सिंह चड्ढा के पश्चात शिरोमणि अकाली दल बादल के दबंग आगु और समय-समय पर अलग -अलग मुददों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले सुच्चा सिंह लंगाह के पराई महिला के साथ अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर सार्वजनिक होने के बाद सिख पंथ में तूफान आने के बाद उन्हें पंथ से छेक दिया गया था। परंतु अदालत द्वारा पिछले दिनों बरी किए जाने के बाद लंगाह ने एक बार फिर पंथ में शमूलियत करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को खत लिखा है, जिसमें उन्होंने अदालत द्वारा दोषमुक्त किए जाने के बाद उसे पंथ में वापिसी के लिए कहा है। सुच्चा सिंह लंगाह ने अदालत द्वारा उनपर 376 धारा के अंतर्गत दर्ज किए गए केस में बरी होने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि वह अपने साथियों के साथ सलाह-मशविरा करने के उपरांत श्री अकाल तख्त साहिब पर पंथ में वापिसी करने के लिए पत्र देंगे।

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जानकारी मिली हे कि लंगाह ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को एक खत भेजा है, कि उसे पंथ में वापिस लिया जाएं। हालांकि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार इस मामले पर चुपी साधे हुए है लेकिन एक वार्तालाप के दौरान जत्थेदार ने कहा कि लंगाह ही नहीं कोई भी शख्स अपनी पंथ में वापिसी के लिए आवेदन कर सकता है, जिसपर विचार पंज सिंह साहिबान की बैठक में किया जा सकता है। अदालत द्वारा लंगाह केस में दिए गए फैसले में संबंधित महिला ने अपने बयान से मुकरते हुए कहा था कि जो वीडियो सुच्चा सिंह लंगाह की वायरल हुई थी, उसको लेकर जिस औरत ने लंगाह के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था, उसमें वह नहीं और अदालत ने लंगाह को संदेह का फायदा देते हुए केस से बरी कर दिया था।

हालांकि पंथक मार्यादा की बात की जाएं तो श्री अकाल तख्त साहिब और दुनियावी अदालतों का कोई मेल नहीं और अकाल तख्त साहिब के सिद्धांत के मुताबिक किसी भी दुनियावी अदालत के अंतर्गत अकाल तख्त नहीं आता और ना ही अदालत के कोई फैसले अकाल तख्त पर लागू होते है। अकाल तख्त साहिब से जब भी किसी शख्स को दोषी मानते हुए पंथ से छेक दिया जाता है, उसका फैसला पंज तख्तों के जत्थेदारों की बैठक के दौरान बैठक के दौरान तथ्यों के आधार पर फैसला लिया जाता है। परंतु अभी तक संबंधित औरत ने ही लंगाह को बरी करवाने के लिए कहा है कि वह वीडियो में नहीं है। लेकिन लंगाह यह साबित करने में नाकाम है कि वीडियो झूठी थी या फर्जी। उस वीडियो में वह स्वयं नहीं। अकाल तख्त साहिब पर अगर लंगाह रियायत चाहते है तो पहले उन्हें अपना जुर्म कबूल करना होगा और फिर माफी के लिए आवेदन लिखना होगा।

इससे पहले चीफ खालसा के पूर्व प्रधान चरणजीत सिह चडढा की भी एक अश्लील वीडियो वायरल हुई थी, जिस उपरांत चीफ खालसा दीवान की प्रधानगी से इस्तीफा देना पड़ा और बाद में पुलिस ने केस वापिस लिया। चडढा ने भी अकाल तख्त साहिब पर दरखास्त दी थी थी कि उसका केस वापिस हो चुका है और उसपर लगाई सजा वापिस ली जाएं परंतु अकाल तख्त साहिब ने उसकी दरखास्त पर कोई कार्यवाही नहीं की। लंगाह को अकाल तख्त साहिब से राहत मिलती है या नहीं यह भविष्य की बात है परंतु कानूनी अदालत ने चाहे बरी कर दिया हो लेकिन लोगों की अदालत में लंगाह दोषी है।

– सुनीलराय कामरेड

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