तमाम कोशिश व सतर्कता के बाद भी राजस्थान में लंपी वायरस ने फिर दस्तक दे दी है। कोरोना महामारी की दहशत के बीच इन दिनों पशुओं में लंपी वायरस का कहर दिख रहा है। राजस्थान गायों में लंपी वायरस का कहर दिख रहा है।
राजस्थान के कई शहरों में गायों में लंपी के लक्षण दिखाई दिए हैं। अजमेर एवं पाली जिलों के साथ जैसलमेर में 2 गायों में लंपी के लक्षण देखे गए हैं जिनके सेम्पल ले कर जोधपुर व भोपाल भिजवाये गए हैं।
पशुपालन विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर एडवाइजरी जारी की
उधर, राजस्थान में गायों में लंपी रोग के फिर से सामने आने को लेकर राज्य सरकार का पशुपालन विभाग भी अलर्ट मोड पर आ गया है और सभी जिलों के पशुपालन विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर एडवाइजरी जारी की है। जिलों में वैक्सीन के साथ ही जारी कर दिए गए हैं। वैक्सीन के स्टॉक में कमी को देखते हुए जिले के अधिकारियों द्वारा सरकार को वैक्सीन की डिमांड भेज दी गई है, ताकि आने पर वैक्सीनेशन का काम शुरू किया जा सके।
लंपी रोग से साल 2021 और साल 2022 में 76030 मवेशियों की मौत
आपको बता दे कि राजस्थान में साल 2021 और साल 2022 में लंपी रोग से 76030 मवेशियों की मौत हुई थी। हालांकि मृत पशुओं की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक थी, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में यह संख्या दर्ज है।
पशुपालन विभाग के उप निदेशक अशोक सुथार ने पुष्टि की कि जैसलमेर में 2 गायों में संदिग्ध लंपी रोग के लक्षण दिखे हैं, एक मामला सतो गांव का है, वहां टीमें भेजी गई हैं।
पशुपालको को समझाईश करते हुए इस संदिग्ध बीमारी से ग्रसित गांय को अलग रखने की सलाह दी गई हैं। इसके अलावा दोनो गायो के सेंपल कलेक्ट किये गए हैं, उन्हें जोधपुर व भोपाल में हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री भेजे हैं।
उन्होने बताया कि राजस्थान में कई इलाको में लंबी बिमारी के पुन: आगमन की जानकारियां मिल रही हैं, उसको देखते हुए राज्य सरकार स्तर पर पशु पालन विभाग द्वारा एडवाईजरी जारी की गई हैं।
प्रथम बार इस वायरस की रोगी गाय को जाम्बिया में 1929 में पाया गया
लंपी स्किन डिसीज़ एक ऐसी बीमारी है, जो कि गौवंश से जुड़ी हुई है, यह वायरस कैप्री पॉक्स वायरस से सम्बंधित वायरस है। प्रथम बार इस वायरस की रोगी गाय को जाम्बिया में 1929 में पाया गया था। इससे यह बात पता चली कि यह वायरस 2022 में नहीं आया था बल्कि यह तो लगभग 90 साल पुराना वायरस है। यह वायरस गायों एवं भैंसों में पाया जाता है, यह वायरस धीरे-धीरे बड़ता है और यह हमारी गौमाता और भैंसों के लिए काफी दर्दनाक होता है। इस वायरस ने हमसे हमारी काफी सारी गौमाता को छीन लिया है। इस वायरस का सबसे विक्राल रूप हमारे देश भारत के राजस्थान राज्य में देखने को मिला।