मूलभूत सुविधाएं किस कदर हमारे जीवन पर प्रभाव डालती हैं इसका सटीक उदाहरण हाल ही में राजस्थान के धौलपुर जिले के राजघाट गांव में देखने को मिला। यहां 22 साल बाद किसी युवक को घोड़ी चढ़ना नसीब हुआ है।
दरअसल, धौलपुर के राजघाट गांव का नाम सुनते ही लोग अपनी बेटी की शादी इस गांव में करने से मना कर देते थे, क्योंकि इस गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। गांव की ऐसी बदहाली है कि यहां के किसी युवक की शादी नहीं हो पा रही थी, लेकिन दूल्हा बने पवन के चेहरे पर इतिहास बदलने की मुस्कान झलक रही है।
आपको बता दे कि धौलपुर जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजघाट गांव से जैसे ही किसी लड़के वाले के परिजन रिश्ता लेकर जाते, मना हो जाता। कोई भी अपनी बेटी ब्याहने को तैयार नहीं होता था। बेहद पिछड़े इस गांव में विकास की पगडंडी भी नहीं दिखाई देती। गांव के सरकारी स्कूल में एक हैंडपंप है। उससे भी खारा पानी आता है। सरकारी योजनाओं के अवशेष भी इस गांव में दूर-दूर तक नहीं नजर आते।
22 साल बाद गांव के ही पवन नाम के युवक की बीते 29 अप्रैल को शादी थी। रविवार को उनकी बारात मध्य प्रदेश के एक गांव के लिए रवाना हुई थी। इससे पहले वर्ष 1996 में इस गांव में किसी लड़के का विवाह हुआ था। बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से यह गांव महरूम है और यही वजह है कि यहां शादी के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था। 40 घरों वाले राजघाट गांव की आबादी 300 के आस-पास है। दो दशक के बाद इस गांव में शहनाई तो बज गई लेकिन सिस्टम पर सवाल खड़े कर गई।
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