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NCRB के मुताबिक राजस्थान में हुए महिलाओं के खिलाफ अधिक अपराध, गहलोत बोले- आधी शिकायतें फर्जी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध की लगभग आधी शिकायतें फर्जी हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में पिछले साल देश में दुष्कर्म के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, इसके बाद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का स्थान रहा। एनसीआरबी द्वारा जारी 2020 के अपराध के आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान में राज्यों में दुष्कर्म के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। राज्य भर के विभिन्न पुलिस थानों में दुष्कर्म के कुल 5,310 मामले दर्ज किए गए।

हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा, यह चिंता का विषय है कि बहुत सारे लोग इस नीति को खराब कर रहे हैं। 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए 45.88 प्रतिशत प्राथमिकी , 2020 में 45.23 प्रतिशत और 2021 में जून तक 47.56 प्रतिशत प्राथमिकी फर्जी पाए गए। इसका मतलब है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए प्राप्त लगभग आधी शिकायतें फर्जी हैं। लोगों द्वारा इस तरह से कानून का दुरुपयोग करने के कारण राज्य को बदनाम किया जा रहा है। और आप पहले से ही जानते हैं कि कैसे दूसरे राज्यों में एफआईआर दर्ज हैं।

उन्होंने आगे कहा, एनसीआरबी की रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है कि अपराध समाज में व्याप्त विभिन्न परिस्थितियों का परिणाम है। हमें विभिन्न राज्य विशिष्ट नीतियों और प्रक्रियाओं के कारण केवल इन आंकड़ों के आधार पर राज्यों की तुलना करने से बचना चाहिए। कुछ लोग यह मानकर गलती करते हैं कि अपराध का बढ़ना और अपराध का दर्ज होना एक ही बात है, मीडिया और विपक्ष भी यही गलती कर रहे हैं।

हमारी सरकार ने 2019 में अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज करने की नीति लागू की। पहले पुलिस एक कोरे कागज पर रिपोर्ट लिखती थी और कोई सबूत मिलने पर प्राथमिकी दर्ज करती थी। लेकिन महिलाओं और हाशिए के समुदायों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। इसके कारण कई बार उनकी सुनवाई नहीं हुई। अब सभी की प्राथमिकी दर्ज की जाती है जिससे हर मामले को तार्किक अंत तक ले जाया जाता है। इससे आम आदमी को काफी राहत मिली है।

उन्होंने कहा, पहले, सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दुष्कर्म के मामलों में 33 प्रतिशत प्राथमिकी अदालतों के माध्यम से दर्ज की जाती थी। मुफ्त पंजीकरण की नीति के कारण, यह आंकड़ा अब केवल 15 प्रतिशत है।इतना ही नहीं, 2019 में, हमारी सरकार ने स्थापित किया हर जिले में एक डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए एक विशेष इकाई स्थापित की जाए। इससे दुष्कर्म जैसे जघन्य मामलों की जांच 2017-18 में 274 दिनों से घटकर अब 73 दिन तक हो गई है। हमने अदालतों में कानूनी अधिकारी भी नियुक्त किए हैं। 

यही कारण है कि अब आप अखबारों में पढ़ते रहते हैं कि आरोपी को दस दिन में सजा मिल रही है या यह कि एक महीने के भीतर निर्णय लिया जा रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 लगातार दूसरा साल था जब राज्य में सबसे ज्यादा दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए। 2019 में, राज्य के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दुष्कर्म के लगभग 5,997 मामले दर्ज किए गए।