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अशोक गहलोत का आरोप, कहा-महाराष्ट्र के राज्यपाल ने स्थिरता के बजाय अस्थिरता पैदा कर दी

शिवसेना के साथ गठबंधन के सवाल पर गहलोत ने कहा, ऐसे फैसले अहम फैसले होते हैं, भविष्य को देख कर किए जाते हैं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर स्थिरता कायम करने की बजाय अस्थिरता कायम कर दी। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में गहलोत ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन के बारे में हमारे हाईकमान के प्रतिनिधि आपस में चर्चा कर रहे हैं। 
फैसला क्या होगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। पर यह अच्छा फैसला नहीं किया। राज्यपाल महोदय ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाकर स्थिरता कायम करने के बजाय अस्थिरता कायम कर दी।’ राज्यपाल की भूमिका के बारे में पूछे गए एक के सवाल पर गहलोत ने कहा, कि बीजेपी शासन में पूरे देश में इन्होंने घमंड से राजनीति शुरू की है, उसमें आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं। 

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उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र देश का एक महत्वपूर्ण राज्य है और उसमें अगर त्रिशंकु विधानसभा आ गई तो राज्यपाल का कर्तव्य था कि वह कम से कम तय करते कि स्थिति कैसे संभल सकती है और किस प्रकार स्थाई सरकार बन सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘ (नारायण) राणे पहले कांग्रेस और शिवसेना में थे और अब वह बीजेपी में हैं और कहते हैं कि हम तो साम, दाम, दंड, भेद कुछ भी कर सरकार बनायेंगे। 
आप सोच सकते हैं कि देश किस दिशा में जा रहा है। उस रूप में राजग सरकार देश को चला रही है। पूरा मुल्क देख रहा है कि इनको महाराष्ट्र और हरियाणा में झटका लग गया है तब भी अगर इनकी सोच नहीं बदली है तो आने वाले वक्त में जनता और सबक सिखाएगी।’’ शिवसेना के साथ गठबंधन के सवाल पर गहलोत ने कहा, ‘‘ऐसे फैसले अहम फैसले होते हैं, भविष्य को देख कर किए जाते हैं। 
हमें सत्ता का लोभ नहीं है पहले भी सरकारें आयी और गई हैं परन्तु कांग्रेस चाहेगी कि स्थाई सरकार हो उसके लिए क्या कदम उठाते हैं, वो समय बताएगा।’ उन्होंने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे लोग सत्ता में आकर बैठ गए हैं जो सोशल मीडिया के माध्यम से युवा पीढी को पंडित नेहरू के व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर गुमराह कर रहे हैं जबकि पंडित नेहरू के व्यक्तित्व और कृतित्व को पूरी दुनिया मान रही है, देश मान रहा है। 

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