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समझौता ना होने पर एसोसिएशन के अधिकारियों की हो गिरफ्तारी : HC

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राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल अभी भी जारी है। डॉक्टरों और राज्य सरकार के बीच कोई समझौता नहीं होने के कारण हाई कोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया है कि सरकार और डॉक्टरों के बीच कोई समझौता नहीं होता है तो डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी और दुर्गा शंकर को गिरफ्तार किया जाए। उधर, डॉक्टरों की हड़ताल का नई दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने भी समर्थन दिया है।

एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने तो प्रधानमंत्री तक पत्र लिखकर चुनौती दी है कि प्रधानमंत्री केवल एक दिन डॉक्टर की जिंदगी जीकर देखें तो पता चलेगा कि डॉक्टर किन हालात में काम कर रहे हैं। डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने आज क्रिसमस की छुट्टी के दिन कोर्ट को खोलने का फैसला किया। मरीजों की बिगड़ती हालात पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट की बेंच ने छुट्टी के दिन सुनवाई करते हुए डॉक्टरों के अधिवक्ता से पूछा कि डॉक्टर काम पर क्यों नहीं आ रहे हैं, तब डॉक्टर ने कहा कि वो हड़ताल पर नहीं हैं। उन्होंने सरकार से कुछ मांग को लेकर सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया था। 18 दिसंबर से अवकाश पर जाना था, लेकिन उससे पहले ही सरकार ने 16 दिसंबर की रात से डॉक्टरों को गिरफ्तार करना शुरु कर दिया। इसलिए गिरफ्तारी के कारण डॉक्टर काम पर नहीं आ रहे हैं।

राजस्थान सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने कहा कि अगर डाक्टर काम पर लौटने के लिए तैयार हैं, तो उन्हें सरकार की तरफ से पूरी सुरक्षा दी जाएगी इस पर हाई कोर्ट ने हड़ताली डॉक्टरों के वकीलों से पूछा कि क्या डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख अजय चौधरी और दुर्गा शंकर सैनी काम पर लौटने के लिए तैयार है। इसका जवाब डॉक्टरों के वकील नहीं दे पाए, इससे नाराज होकर राजस्थान हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल को गैरकानूनी करार देते हुए निर्देश दिया कि सरकार डाक्टरों पर कानूनी कार्रवाई करे।

राज्य में जानलेवा बनती जा रही डॉक्टरों की हड़ताल के बाद हाई कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया है। दरअसल, अलग-अलग मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को राजस्थान हाई कोर्ट ने काम पर लौटने को कहा था। बावजूद इसके डॉक्टर जिद पर अड़े रहे और काम पर नहीं लौटे। रेजिडेंट डॉक्टरों और इंटर्न डॉक्टरों भी हड़ताल पर चले गए, जिसके चलते मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में भी हालात खराब होने लगे।

राज्य में रोजाना तीन से चार लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं, लेकिन सरकार और डॉक्टर अपनी-अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। सभी जिला मुख्यालयों के बड़े अस्पताल सूने पड़े हैं। ग्रामीण इलाकों में जहां पर निजी अस्पतालों की सुविधा नहीं है, मरीज मारे-मारे फिर रहे है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे राज्य के बड़े अस्पतालों में भी जहां 4 से 5 हजार ऑपरेशन रोज होते थे, वहां मुश्किल से 15 से 20 ऑपरेशन हो रहे हैं।

गंभीर रोगों से पीड़ित लोग इलाज के लिए राज्य के बाहर जा रहे हैं। जब से हड़ताल हुई है तब से अजमेर में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 15 से 20 मौतें 1 सप्ताह में हो जाती हैं। वही डॉक्टरों का आरोप है कि करीब 70 डॉक्टर जेल में बंद हैं। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ ने कहा है कि डॉक्टरों के साथ नवंबर में हुए समझौते की सभी 12 मांगें सरकार ने मान ली हैं, लेकिन डॉक्टर जिद पर अड़े हैं कि नेता डॉक्टरों के ट्रांसफर रद्द किए जाएं। हाईकोर्ट ने भी इनके ट्रांसफर को सही ठहराया है।

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