राजस्थान में गर्माती सियासत के बीच एकबार फिर सियासत की गर्माहट ने और विकराल रूप ले लिया है। गहलोत के बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के आलाकमान के फैसले पर सियासी बवाल शुरू हो गया है। अब अशोक गहलोत गुट के सभी विधायकों ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है। बता दें, गहलोत के इस रूख से पार्टी आलाकमान काफी हैरान है।
दिल्ली से आया फोन, बोले गहलोत, कुछ नहीं है बसकी बात
सूत्रों के मुताबिक, केसी वेणुगोपाल ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर गहलोत को फोन किया और पूछा कि जयपुर में क्या हो रहा है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने हाथ उठाकर कहा कि उनके बस में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा, कि यह विधायकों का निजी फैसला है और इसमें उनका कोई हाथ नहीं है। इसके बाद वेणुगोपाल ने खड़गे से भी बात की है। आलाकमान ने पूरे मामले को आज रात ही सुलझाने को कहा है। हर विधायक से बात करने के बाद रात में ही समाधान निकालने को कहा गया है।
इस बड़े डर में जी रहे हैं गहलोत
दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन की मौजूदगी में आज शाम गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई। बताया जा रहा है कि विधायकों को इसमें एक प्रस्ताव पारित करने के लिए कहा जा रहा था कि आलाकमान नए मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए अधिकृत है। गहलोत गुट को डर है कि आलाकमान सचिन पायलट को सत्ता सौंपने जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की कड़वाहट किसी से छिपी नहीं है। 2018 की बगावत के बाद पायलट गहलोत को खटकते रहे हैं।
आलाकमान को दिखाई शक्ति?
अशोक गहलोत गुट के इस दांव को राजनीतिक पंडित भी बड़े हैरानी से देख रहे हैं। इस रूप में भी देखा जा रहा है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले ही गांधी परिवार को अपनी ताकत दिखा चुके हैं। इसे गांधी परिवार के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने 2020 में सचिन पायलट से किए गए वादे को निभाने का फैसला किया है। 2018 में राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले पायलट थे। मुख्यमंत्री बनने की संभावना है। लेकिन अशोक गहलोत पायलट को नहीं मानते। पहले से ही संभावना थी कि गहलोत पायलट की जगह अपने किसी करीबी को कुर्सी सौंपना चाहेंगे, लेकिन इस तरह विधायक इस्तीफा दे देंगे और परोक्ष रूप से गांधी परिवार को चुनौती दी जाएगी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।