राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत ने शुक्रवार को कहा कि दक्षिण के प्रांतों में हिंदू आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा किए गए सेवा कार्य मिशनरियों से कहीं अधिक हैं। वह जयपुर के जामडोली में केशव विद्यापीठ में राष्ट्रीय सेवा भारती के सेवा संगम के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा,‘‘ सेवा कहने के बाद सामान्यतः देश के प्रबुद्धजन मिशनरियों का नाम लेते हैं। दुनिया भर में मिशनरी अनेक स्कूल, अस्पताल चलाते हैं, यह सभी को पता है। लेकिन दक्षिण के प्रांतों में . केवल आध्यात्मिक क्षेत्र के हमारे आचार्य मुनि, संन्यासी सब मिलाकर जो सेवा करते हैं वह मिशनरियों की सेवा से कई गुणा ज्यादा है।’’ भागवत ने कहा,‘‘मैं स्पर्धा की बात नहीं कर रहा। उनसे ज्यादा, उनसे कम, यह मेरा पैमाना नहीं है। सेवा का यह पैमाना हो ही नहीं सकता।’’
उन्होंने कहा कि सेवा स्वस्थ समाज को बनाती है लेकिन स्वस्थ समाज को बनाने के लिए पहले वह पहले हमको स्वस्थ करती है। संघ प्रमुख ने कहा,‘‘सेवा मनुष्य के मनुष्यत्व की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है।’’ कार्यक्रम में पीरामल समूह के चेयरमैन अजय पीरामल मुख्य अतिथि थे जबकि संत बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज ने आशीर्वचन दिया। सेवा भारती के इस तीन दिवसीय संगम में देश भर से 800 से अधिक स्वैच्छिक सेवा संगठनों के हजारों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।