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BJP का CM गहलोत पर वार- जो मुखिया जनता को सुरक्षा न दे पाए, उसे पद पर रहने का नैतिक हक नहीं

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अपराधों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया।

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अपराधों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो मुखिया अपने प्रदेश की जनता को सुरक्षा न दे पाए उसे अपने पद पर रहने का कोई नैतिक हक नहीं रह जाता है।डा सतीश पूनियां ने सोशल मीडिया के जरिए प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि जो मुखिया अपने प्रदेश की जनता विशेष रूप से महिला और बच्चों को सुरक्षा न दे पाए उसे अपने पद पर रहने का कोई नैतिक हक नहीं। उन्होंने कहा “सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने पर ध्यान है, एक बार क्षेत्र में निकलिए और लोगों की पीड़ा को जानिए मुख्यमंत्रीजी।”
उन्होंने कहा कि राजस्थान के गृहमंत्री के पास कानून व्यवस्था के जरिए आम जनता, वंचित और बहन बेटियों की अस्मत बचाने की भी जिम्मेदारी है या खुद की कुर्सी की सलामती की फ़िक्र भर है या उस कुर्सी के जरिए पुलिस प्रशासन का उपयोग सियासी षड़यंत्रों के लिए करना भर है। उन्होंने कहा कि गैंगरेप और बलात्कार पीड़ित अबलाओं के आंसू कांग्रेस से न्याय मांग रहे हैं तथा मोब लिंचिग के शिकार दलित परिवार खून के आंसू रो रहे हैं। पानी सिर के ऊपर से गुजर गया है। उसमें उबाल आए उससे पहले मुखिया को जागना चाहिए और बस की नहीं है तो फिर कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने भी कहा कि गहलोत सरकार कानून व्यवस्था बनाये रखने एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए बिल्कुल भी फिक्रमंद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन बहन-बेटियां दुष्कर्म की शिकार हो रही है लेकिन महिला विरोधी गहलोत सरकार इनकी सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी फिक्रमंद नहीं है। अपराधियों के भय से महिलाओं एवं बच्चियों को मुक्त कराकर इन्हें सुरक्षित परिवेश मुहैया कराना राज्य सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं है। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार प्रदेश की महिलाओं-बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने में कितनी सतर्क एवं मुस्तैद है, इसका प्रमाण पुलिस विभाग के आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है। लॉकडाउन में पुलिस के सख्त पहरे के बावजूद गत छह माह में दुष्कर्म की घटनाओं में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दुर्भाज्ञपूर्ण एवं शर्मनाक है।

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