राजस्थान उच्च न्यायालय कांग्रेस में बसपा के छह विधायकों के विलय को चुनौती देने वाली भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा की याचिकाओं पर अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगा। दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल ने इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को मुकर्रर की क्योंकि बृहस्पतिवार को अर्ध कार्यदिवस था।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बसपा को पहले अध्यक्ष के पास जाना चाहिए तथा यदि वह कोई आदेश नहीं जारी करते हैं तब उसे अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग करते हुए अपने आवेदन पर निर्णय के लिए अदालत का रुख करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि बसपा की रिट याचिका ने उपलब्ध उपचार की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि यदि बसपा और भाजपा को उपयुक्त आदेश के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास जाने का निर्देश दिया जाता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है। इन छह विधायकों में से एक के वकील राजीव धवन ने भी अपनी दलीलें शुरू कीं, लेकिन समय के अभाव के चलते पूरी नहीं हो पाई। मामले पर अब शुक्रवार को सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ताओं ने छह विधायकों- संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लाखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी है और इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के तामील पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। ये विधानक बसपा के टिकट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में जीतकर आये थे। वे सितंबर, 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये।
उन्होंने 16 सितंबर, 2019 को विलय के लिए आवेदन दिया था और अध्यक्ष ने 18 सितंबर 2019 को आदेश जारी किया था। दिलावर ने इस विलय को चुनौती देते हुए इस साल मार्च में विधानसभा अध्यक्ष के सामने आवेदन दिया था, जिसे 24 जुलाई को खारिज कर दिया गया। इस पर भाजपा नेता ने अध्यक्ष के आदेश को अदालत में चुनौती दी। बसपा ने इस विलय के खिलाफ अदालत में अलग से याचिका दायर की है।