राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को हुए वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया इसी बैठक के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से मनरेगा की तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना शुरू करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के संक्रमण से उत्पन्न हुई समस्या के कारण लोगों की जिंदगी के साथ आजीविका बचाना जरूरी है। इसी के मद्देनजर उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाने के साथ मनरेगा के तहत गांवों में रोजगार को बढ़ाकर 200 दिवस कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी पर गुजर-बसर करने वाले गरीब, मजदूर व जरूरतमंद तबके की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्हें रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र मनरेगा की भांति ही शहरी क्षेत्र के लिए भी ऐसी योजना लाने पर विचार करे। गहलोत ने ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए न्यूनतम 200 दिवस रोजगार उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
गहलोत ने कहा कि अब केन्द्र व राज्य सरकारों को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लड़नी है। एक तरफ कोरोना वायरस संक्रमण से जीवन बचाने की जंग तो दूसरी तरफ आजीविका बचाने और आर्थिक हालात पटरी पर लाने की लड़ाई। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण केन्द्र एवं राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है और वे केन्द्र की मदद के बिना इस संकट का मुकाबला नहीं कर सकते। इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र जल्द से जल्द व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए।
उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पर जोर देने की बात की और कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता जरूरतमंद वर्ग की मदद करना है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले।’’ गहलोत ने वायरस से संक्रमित जोन तय करने का अधिकार राज्यों को देने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद को कृषि उत्पादन के 50 प्रतिशत तक करने, राजस्थान को टिड्डी नियंत्रण में सहायता देने सहित अन्य मांगें भी प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष रखीं।