आज शुक्रवार का देश के उन किसानों के लिए खास बन गया है, जो लगभग पिछले एक साल से केंद्र की मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। ऐसे में विपक्षी दल भी अपनी लगातार प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे है। इसी कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा को लोकतंत्र की जीत व केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के अहंकार की हार बताया है। साथ ही गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार ने यह फैसला उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते किया है।
गहलोत ने कहा- मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं
गहलोत ने ट्वीट किया, ‘‘तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है। यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है।’’
गहलोत ने कहा,‘‘ देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।’’
मोदी व उनकी सरकार के लोग समझ नहीं पा रहे थे
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में गहलोत ने कहा कि केंद्र की सरकार देश व देश के किसानों की भावनाओं को समझने में विफल रही और घमंड में रही जिस कारण केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन साल भर चला और सैकड़ों किसान मारे गए।
गहलोत ने कहा, ‘‘ आंदोलनकारी किसान पूरे देश व किसानों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मोदी व उनकी सरकार के लोग समझ नहीं पा रहे थे। इसे समझने में केंद्र सरकार विफल रही इसी कारण एक साल गुजर गया। संघर्ष चलता रहा सैंकड़ों किसान मारे गए।’’
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए घबराहट में यह फैसला किया है
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए घबराहट में यह फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री खुद तीन दिन जाकर डेरा डाल रहे हैं, चुनाव में जीत के लिए प्रधानमंत्री खुद जा रहे हैं और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को वहां संभागवार बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, इससे अंदाज लगा लीजिए कि आज का फैसला भी उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए लिया गया है।’’
कांग्रेस हमेशा किसानों के हर आंदोलन में उनके साथ खड़ी रही है और आगे भी खड़ी रहेगी- डोटासरा
उन्होंने कहा, ‘‘ इससे अंदाजा लगा लीजिए कि इनमें कितनी घबराहट है। इस घबराहट के कारण आज इनको फैसला करना पड़ा है।’’ कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा किसानों के हर आंदोलन में उनके साथ खड़ी रही है और आगे भी खड़ी रहेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा और केंद्र की उसकी सरकार का अहंकार व बेईमानी का खुलासा देश के सामने हो चुका है। डोटासरा ने कहा, ‘‘इन्हें माफी मांगनी चाहिए और किसानों की आमदनी दोगुनी करने सहित अपने वादों पर काम करना चाहिए। यही प्रजातंत्र का तकाजा है, लेकिन इनसे उम्मीद नहीं है।’’
‘‘अन्नदाताओं के लंबे संघर्ष की आज जीत हुई है’’- सचिन पायलट
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इसे किसानों की जीत बताया है। पायलट ने ट्वीट किया, ‘‘अन्नदाताओं के लंबे संघर्ष की आज जीत हुई है।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ किसान शक्ति द्वारा उठाई गई सत्य और न्याय की आवाज के समक्ष हुकूमत के अहंकार को झुकना पड़ा और तीनों कृषि विरोधी कानून वापस लेने पड़े।
किसानों के बहते लहू, त्याग व बलिदान ने एक ऐतिहासिक अध्याय लिखा है, जिसे सदैव याद किया जाएगा।’ किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम ने ट्वीट किया,‘‘ कहा था ना, किसान हार कर, अपमानित होकर नहीं जायेगा, किसान अपना हक लेकर ही वापस घर जाएगा।’’
संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने ट्वीट कर इसे किसानों की जीत बताया है। मील ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार द्वारा काले कानून वापस ले लिए गए। किसानों की जीत हुई है। किसानों का संघर्ष रंग लाया। किसानों की एकता जिन्दाबाद।’’ भादरा से विधायक व किसान सभा के संयुक्त सचिव बलवान पूनियां ने ट्वीट किया,‘‘ किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद।’’
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा शुक्रवार को की। इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे।