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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार पर कांग्रेस का ‘चिंतन शिविर’, आगे की रणनीति पर होगा विचार-विमर्श

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, कांग्रेस पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने, नयी चुनौतियों से निपटने और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श के लिए 13 से 15 मई के बीच राजस्थान के उदयपुर में ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन करेगी।

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, कांग्रेस पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने, नयी चुनौतियों से निपटने और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श के लिए 13 से 15 मई के बीच राजस्थान के उदयपुर में ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन करेगी।   
पहले हो सकती है सीडब्ल्यूसी की बैठक 
सूत्रों के अनुसार, इस ‘चिंतन शिविर’ में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व, वरिष्ठ नेता और कई राज्य इकाइयों के वरिष्ठ पदाधिकारियों समेत करीब 400 लोग शामिल होंगे। सूत्रों का कहना है कि इस शिविर से पहले कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक भी हो सकती है। यह ‘चिंतन शिविर’ ऐसे समय होने जा रहा है जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर मंथन का दौर चल रहा है।  
भविष्य के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिये रणनीतिक विमर्श 
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व व संगठन में भारी बदलाव की मांग उठी थी। चुनाव नतीजों के बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में संसद सत्र के बाद सीडब्ल्यूसी की एक और बैठक आयोजित करने के साथ ही चिंतन शिविर के विवरण को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया गया था। सूत्रों के अनुसार, इस ‘चिंतन शिविर’ के दौरान चुनावी हार से सीख लेते हुए भविष्य के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिये रणनीतिक खाका खींचने को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा क्योंकि मौजूदा समय में सिर्फ दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें हैं। वहीं, महाराष्ट्र तथा झारखंड में कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी दल है। 
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि प्रत्येक नेता पार्टी की विचारधारा के प्रसार में मदद और आगामी चुनावों में वह कैसे बेहतर प्रदर्शन करे इसको लेकर संगठन में कमियों और इसमें सुधार करने के उपायों पर खुलकर चर्चा करे। कांग्रेस पहले ही ‘जी-23’ समूह के नेताओं द्वारा खड़े किए गए सवालों की चुनौती से जूझ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनसे पहले ही कहा है कि वे आगामी चिंतिन शिविर जैसे पार्टी के मंच पर अपनी शिकायतों को उठाएं, ताकि उनका समाधान किया जा सके।

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