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गहलोत मंत्रिपरिषद का विस्तार ही नहीं पुनर्गठन भी हो सकता है, मंत्री के बयान से शुरू हुआ सियासी अटकलों का दौर

राजस्थान में स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का एक वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इन अटकलों ने जोर पकड़ा है कि राज्य में अशोक गहलोत मंत्रिपरिषद् का विस्तार ही नहीं पुनर्गठन भी हो सकता है जिसके तहत कई मंत्रियों को हटाया जा सकता है।

राजस्थान में कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, गहलोत-पायलट खेमे में काफी खाई बढ़ती जा रही है। इसके अलावा गहलोत मंत्रिपरिषद में बदलाव के संकेत मिल रहे है, जिससे कुछ हद तक सियासी लड़ाई को ठंडा किया जा सके। राजस्थान में स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का एक वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इन अटकलों ने जोर पकड़ा है कि राज्य में अशोक गहलोत मंत्रिपरिषद् का विस्तार ही नहीं पुनर्गठन भी हो सकता है जिसके तहत कई मंत्रियों को हटाया जा सकता है।
वीडियो में डोटासरा कहते सुनाई दे रहे हैं कि ‘इस पद पर वे दो-पांच दिन के मेहमान हैं।’ हालांकि मंत्रिपरिषद फेरबदल के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महासचिव महासचिव अजय माकन 28—29 जुलाई को जयपुर आएंगे और मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर कांग्रेस विधायकों से व्यक्तिगत ‘फीडबैक’ लेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों व पायलट खेमे की विधायकों की मांग को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार में अधिक विलंब नहीं होगा। गहलोत मंत्रिमडल में फेरबदल की अटकलों को स्कूली शिक्षा मंत्री डोटासरा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से काफी बल मिला है। वीडियो में वह एक अधिकारी से कहते सुनाई दे रहे हैं, ‘मुझसे जो कराना है करा लीजिए, मैं दो-पांच दिन का मेहमान हूं।’
दरअसल डोटासरा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी हैं। ऐसी अटकलें हैं कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ के नियम के अनुसार उन्हें मंत्री पद से हटाया जा सकता है ताकि वे सांगठनिक गतिविधियों पर अधिक ध्यान दे सकें। हालांकि डोटासरा से इस वीडियो के बारे में बात नहीं हो सकी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी मंत्रिपरिषद में नौ और मंत्री रख सकते हैं। इस समय गहलोत मंत्रिपरिषद् के कुल 21 मंत्रियों में 10 कैबिनेट व 10 राज्य मंत्री हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल जुलाई में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बागी रुख अपनाया था। तब पायलट, विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को मंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हो चुका है जिनके पास सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्रालय था।
राजस्थान में 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मिशन 2023 के तहत कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है और कुछ को पदोन्नति मिल सकता है। हालांकि मंत्री इस बारे में कुछ बोल नहीं रहे। रविवार को यहां बैठक के लिए इकट्ठे हुए मंत्री इन सवालों से बचते नजर आए। मुख्य सचेतक महेश जोशी ने फेरबदल में उन्हें जगह दिए जाने के सवाल को ‘पूरी तरह काल्पनिक करार दिया।’
लगभग ढाई साल पहले अशोक गहलोत ने अपने मंत्रिमंडल का गठन करते समय सबसे ज्यादा चार—चार विधायक जाट व अनुसूचित जाति से बनाए थे। इसके बाद वैश्य, एसटी व ओबीसी समुदाय से तीन तीन, राजपूत व ब्राह्मण समुदाय से दो दो विधायकों को मंत्री बनाया गया है। मंत्रिपरिषद् में एकमात्र मुसलमान चेहरा सालेह मोहम्मद और एक मात्र महिला मंत्री ममता भूपेश रहीं। मंत्रिपरिषद में अब सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा नहीं हैं।
कद्दावर दलित विधायकों में से एक मास्टर भंवर लाल का निधन हो चुका है। अब सबकी निगाह इसी बात पर लगी है कि मंत्रिपरिषद के संभावित फेरबदल में कांग्रेस व मुख्यमंत्री गहलोत ’36 कौमों’’ को साथ लेकर चलने की अपनी सोच’ पर कैसे संतुलन साधते हैं। इसको लेकर नये मंत्रियों को लेकर कयास भी लगने शुरू हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि पार्टी आलाकमान का संदेश लेकर शनिवार रात जयपुर पहुंच पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लंबी चर्चा की। लगभग ढाई घंटे चली इस बैठक में मंत्रिपरिषद् विस्तार व फेरबदल तथा राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर विचार विमर्श किया गया। चर्चा के बाद इन नेताओं ने मंत्रिपरिषद् विस्तार का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया।

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