सरकार और किसान संगठनों के बीच तीन नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक महीने से ज्यादा समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। इसी के मद्देनजर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ हर बैठक के बीच समय न लेकर उनसे प्रतिदिन वार्ता करके उनके हित में फैसला ले लेना चाहिए।
गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ हर बैठक के बीच चार दिन का समय क्यों ले रही है। किसान अपना मत स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र सरकार इन कृषि कानूनों को वापस ले। ठंड के मौसम में सरकार को प्रतिदिन किसानों के साथ वार्ता कर उनके हित में फैसला ले लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनभावनाओं को देखकर अगर सरकार को कोई कानून वापस लेना पड़ तो लोकतंत्र में इसका स्वागत किया जाता है। केंद्र सरकार को इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए। किसान हमारे अन्नदाता हैं और उनकी मांगों को मानना सरकार का नैतिक कर्तव्य है।
उधर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हमारे युवाओं पर बेरोजगारी का बोझ डालने एवं किसानों का हक छीनने की चेष्टा देशविरोधी विचारधारा का प्रतीक है। केंद्र सरकार को यह स्मरण रखना चाहिए कि भारत की किसान शक्ति एवं युवाशक्ति भाजपा की असत्य एवं अन्याय की नींव को हिलाने में सक्षम है।
पायलट ने कहा कि किसानों की कड़ मेहनत के फलस्वरूप ही हमें अन्न उपलब्ध हो पाता है। काले कानून थोपकर केंद्र सरकार ने किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर किया एवं उनके संघर्ष को लाठी-गोली के दम पर दबाने का सत्ताई प्रयास दर्शाता है कि भाजपा में किसानों की भावना को समझने का सामर्थ्य नहीं है।