भारतीय सेना और वायु सेना के जवानों ने राज्स्थान के थार रेगिस्तान में गुरुवार को युद्ध अभ्यास किया। जवानों के पराक्रम से रेगिस्तान गुंजयमान हो उठा, चारों तरफ रेत का गुब्बार, टैंकों की गड़गड़ाहट, बम धमाकों, गोलियां की आवाज, लड़ाकू विमानों, एवं लड़ाकू हेलीकॉप्टर की आवाजाही से युद्ध की परिस्थितियों का नजारा प्रस्तुत किया गया। भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के अन्तर्गत ‘दक्षिण शक्ति’ नामक इस वृहद वार गेम एक्सरसाइज में पहली बार इंटीग्रेटेड थियेटर कमान की परिकल्पना को साकर किया गया ताकि युद्ध की परिस्थिति में सेना के तीनों अंग आपस में बेहतरीन तालमेल कायम कर दुश्मन को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर सके। इस अभ्यास में पहली बार स्पेस टेक्नोलॉजी एवं आर्टिफीसीयल इेटेलीजेंस का समावेश किया गया।
घातक टैंक और विमानों ने भी लिया हिस्सा
सेना के युद्धाभ्यास में करीब 30 हजार सैनिकों ने करीब तीन महीने तक इस एक्सरसाइज की परिकल्पना को साकार किया इस एक्सरसाइज में सेना के टी-90 टैंक, टी72 टैंक, बीपीएम, मिसाइल, आसीएल गन्स आदि अन्य हथियारों से दुश्मन के छदम ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया, भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान एसयू 30, जगुआर, लड़ाकू हेलीकॉप्टर रुद्र, चीता, एमआई 17,धुर्व आदि ने भी इस एक्सरसाइज में युद्ध की परिस्थितियों का नजारा प्रस्तुत करते हुए उस क्षेत्र मे उड़ाने भरी।
ड्रोन का भी किया गया इस्तेमाल
राजस्थान में हुए युद्धअभ्यास में सेना के इस कौशल को देखने एवं हौसला अफजाई करने खुद सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, दक्षिणी कमान के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल जे एस नैन, लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर एवं वायु सेना के दक्षिणी पश्चिमी कमान के कमांडिंग ऑफिसर एयर मार्शल मौके पर मौजूद थे। अभ्यास के आखिरी दिन शुक्रवार को करीब 400 पैराट्रूपर्स एक साथ पैराजंप भी करेंगे। युद्वाभ्यास में अब तक के सबसे लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और खासकर ड्रोन को भी युद्धाभ्यास का हिस्सा बनाया गया हैं। इसमें इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स को भी शामिल किया गया। पिछले तीन साल से भारतीय सेना इसका परीक्षण करने की तैयारी में थी और अब इसका परीक्षण किया गया है।