राजस्थान के एक मात्र पर्वतीय पर्यटक स्थल माउंट आबू में पर्यटकों द्वारा बीयर की कांच की बोतलों को जंगल क्षेत्र में फेंकने से पर्यावरण और जानवरों पर बढते खतरे और दुष्प्रभाव से बचने के लिये सिरोही जिला प्रशासन और शराब के अधिकृत विक्रताओं ने कांच की बोतल की जगह केन बीयर की बिक्री को प्रोत्साहित करने की पहल की है।
माउंट आबू के उपखंड अधिकारी डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने बताया कि बीयर की कांच की बोतल और केन बीयर की बिक्री करने वाले अनुज्ञाधारियों से आग्रह किया गया है कि बीयर की जिन ब्रांड की कैन में उपलब्धता है उनमें कांच की बोतलें आबू पर्वत के लिये निर्गम नहीं की जायें। इस मत के अनुरूप जिन ब्रांड में कैन उपलब्ध नहीं है उन में बोतलों का निर्गम किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि जंगल में फैंकी गई खाली कांच की बोतल के टुकडों से जंगल के जानवरों को नुकसान होता है इसलिये यह पहल शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा उपभोक्ताओं से 20 रूपया प्रति बोतल अतिरिक्त चार्ज किया जायेगा और यह राशि उन्हें वापस कर दी जायेगी यदि वे खाली बोतल को वापस कर देंगे। बाद में एकत्रित खाली बोतलों को नष्ट कर दिया जायेगा।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोस्वामी ने बताया कि प्रशासन की इस पहल का उद्देश्य अगले कुछ महीनों में कांच की बोतलों का प्रयोग कम से कम आधा करने का है। गोस्वामी ने बताया कि पर्यावरण और पर्यटन को बढाने के लिये जंगल के क्षेत्र में टूटे हुए कांच के टुकडों की गंदगी से बचाने की वास्तविकता में आवश्यकता थी, जो इस पहल के जरिये की जायेगी।
उन्होंने बताया कि नक्की झील की सफाई के दौरान हजारो खाली बोतले मिली थी। झील क्षेत्र से खाली बोतलों को हटाने के लिये तीन ट्रेक्टरों का उपयोग किया गया था। उन्होंने बताया कि हाल ही में अधिकृत शराब विक्रताओं से के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिये एक बैठक की गई थी जिसमें उन्होंने नयी प्रक्रिया पर अपनी सहमति जताई है।
समुद्र तल से करीब 1,220 मीटर उंचाई पर अरावली पर्वतमाला श्रृंखला में स्थित माउंट आबू में प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटक आते है और गर्मियों के दिनों में काफी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते है। माउंट आबू के जंगली क्षेत्र की सैंक्चूरी में स्लोथ भालू सहित अन्य जंगली जानवर पाये जाते है। अरावली पर्वत श्रृखला में 1,722 मीटर पर गुरू शिखर सबसे ज्यादा उंचाई पर है।