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राजस्थान में बुधवार से शुरू चार दिन का अंतर्राष्ट्रीय मरू महोत्सव, रेत के समंदर में चारों ओर उड़ेंगे रंग

राजस्थान पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन की ओर से आयोजित चार दिवसीय मरु महोत्सव बुधवार से सीमांत जैसलमेर में शुरु होगा और रेत के समंदर में रंग-रसों का ज्वार उमड़ेगा।

राजस्थान पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन की ओर से आयोजित चार दिवसीय मरु महोत्सव बुधवार से सीमांत जैसलमेर में शुरु होगा और रेत के समंदर में रंग-रसों का ज्वार उमड़ेगा। जिला कलक्टर आशीष मोदी के अनुसार चौबीस से सताईस फरवरी तक आयोजित होने वाले प्रसिद्ध मरु महोत्सव में इस बार कई नवीन आकर्षण देखेने को मिलेंगे जो जैसलमेर के इतिहास में पहली बार होंगे। मरु महोत्सव का आगाज बुधवार शाम छह बजे सोनार किला स्थित श्रीलक्ष्मीनाथजी मन्दिर पर आरती से होगा। इसके बाद वहीं से शाम साढ़ छह बजे हेरिटेज वॉक होगी। यह वॉक लक्ष्मीनाथजी मन्दिर से शुरू होकर मुख्य बाजार से होते हुए गड़सर झील पहुँचेगी। हेरिटेज वॉक में सम्मिलित होने वाले प्रतिभागी साफा एवं स्थानीय वेशभूषा में हिस्सा लेंगे।
महोत्सव के पहले दिन पहली बार जैसलमेर की 108 वर्ष पुराना लोकनाट््य रम्मत (जोगराजा भर्तृहरि का ख्याल) का रात दस बजे पूनम स्टेडियम के मुक्ताकाशी मंच पर मंचन होगा। यह भोर होने तक चलेगा। तेज कवि रचित लोकनाट््य रम्मत (जोग राजा भर्तृहरि ख्याल) का मंचन रसिकों को रात भर मंत्रमुग्ध किए रखकर आनंद के ज्वार में नहला देने वाला होगा। मारवाड़ रंगत की जैसलमेर शैली के इस लोकनाट्य रम्मत के मंचन में एक और जहां परम्परागत प्रतिष्ठित प्रमुख किरदार अपने अभिनय की छाप छोड़गे वहीं नवोदित कलाकारों का भी इसमें समावेश है।
स्थानीय लोक संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए जिला कलक्टर की पहल पर इसे मरु महोत्सव में शामिल किया गया है। यह लोकनाट्य अपनी अनूठी गायन प्रधान पारस्परिक संवाद शैली की वजह से प्रसिद्ध है जिसमें कलाकार पद्यमय संवादों को नृत्य के साथ भावपूर्ण अभिनय से प्रदर्शित करते हैं। उज्जैन के राजा भर्तृहरि के जीवन प्रसंग पर आधारित लोकनाट्य शैली में लगभग सौ वर्ष पूर्व रचित इस रम्मत का सफल मंचन पूर्व में कई बार जैसलमेर अखाड़ के साथ ही अन्य कई स्थानों पर भी होता रहा है। इनमें दिल्ली, उदयपुर, पोकरण एवं फलोदी आदि प्रमुख हैं। रम्मत का कथानक राजा भर्तृहरि के श्रृंगार से वैराज्ञ तक की सम्पूर्ण यात्रा का शब्द एवं भाव चित्र प्रस्तुत करता है। इसमें प्रमुख रूप में राजा भर्तृहरि, रानी पिंगला, विक्रम, गोरखनाथ, कोचवान, वैश्या, बेटी, ब्राह्मण आदि पात्र अपने-अपने अभिनय को बखूबी निभाते हैं।
महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा जिसमें साफा बांध, मूमल-महेन्द्रा, मूँछ प्रतियोगिता, मिस मूमल, मिस्टर डेजर्ट प्रतियोगिताएं तथा मोरचंग, रावण हत्था, खड़ताल, ढोलक की लहरियों पर भी प्रस्तुतियां होगी। इसके अलावा सजे-धजे ऊंटों से सफारी और कैमल ब्यूटीफिकेशन शो तथा अन्य कई कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे।

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