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अनुसूचित क्षेत्र में जनजाति विकास और कल्याण के लिए कलराज मिश्र ने बुलाई समीक्षा बैठक, जानें क्या दिए निर्देश

कलराज मिश्र ने जनजाति बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए कोविड महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की पहचान कर उन्हें तात्कालिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने जनजाति बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए कोविड महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की पहचान कर उन्हें तात्कालिक एवं दीर्घकालिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ऐसे क्षेत्रों के सभी परिवारों को ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत प्रारम्भ ‘कैशलेस’ उपचार की सुविधा का लाभ प्रदान किए जाने की भी आवश्यकता जताई। 
मिश्र मंगलवार को अनुसूचित क्षेत्र में जनजाति विकास एवं कल्याण हेतु संचालित योजनाओं की प्रगति एवं समस्याओं के संबंध में विशेष समीक्षा बैठक को ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में वंचित समूहों को हर सम्भव सहायता प्रदान किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में विद्यार्थियों की कोचिंग व छात्रवृति समय पर मिले, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। राज्यपाल ने जनजातीय क्षेत्र के बालक-बालिकाओं को निगमित सामाजिक जवाबदेही (सीएसआर) के तहत उच्च पदों पर चयन के लिए बेहतर से बेहतर कोचिंग सुविधा दिए जाने के भी निर्देश दिए। 
उन्होंने कहा कि बजट घोषणा में जनजाति उप-योजना का जो ’राजस्थान पैटर्न’ लागू हुआ है, उसमें इस तरह से कार्य हों कि वह दूसरे राज्यों के लिए भी अनुकरणीय हो। उन्होंने अनुसूचित क्षेत्र के 5696 गावों में से 49 गाँवों को आदर्श गॉंव बनाने के बारे में जिलेवार प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के छात्रावासों में स्वच्छता की प्रभावी व्यवस्था के साथ वहां रहने की अच्छी सुविधाओं का विकास किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आदर्श गांवों की प्रगति की मासिक सूचना राजभवन को मिलनी चाहिए और इस सम्बंध में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। 
जनजातीय क्षेत्रीय विकास मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में नवीन ‘स्टार्टअप’ और नवाचार अपनाते हुए उद्यमिता का विकास किया जाना जरूरी है। उन्होंने अनुसूचित क्षेत्र के विद्यार्थियों को दूसरे जिलों में छात्रावास की सुविधाएं उपलब्ध कराने और उन्हें उच्च शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान किए जाने के लिए सभी स्तरों पर कार्य करने की आवश्यकता जताई। 

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