राजस्थान में लोकायुक्त ने खान आवंटन की जांच को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लगभग चालीस वरिष्ठ अधिकारियों को अन्वेषण के नोटिस जारी कर दिये हैं। इसके अलावा माथुर आयोग से सम्बन्धित कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकरणों में राज्य सरकार ने कतिपय विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और क्लबों आदि को रियायती दरों पर जमीन आवंटन के मामले में भी जांच की गई।
लोकायुक्त एस एस कोठारी ने पिछले वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट राज्यपाल कल्याण ङ्क्षसह को सौंपते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सचिवालय की जाँच के उपरान्त आवंटन शर्तो की पालना नहीं किए जाने के कारण कतिपय आवंटन निरस्त किये गये तथा करीब बारह करोड़ के राजस्व की वसूली की गई।
लोकायुक्त सचिवालय द्वारा जाँच में पाया गया कि माथुर आयोग से सम्बन्धित कुछ प्रकरणों में धारा 90-बी के आदेशों में बार-बार परिवर्तन करने की पत्रावलियाँ जयपुर विकास प्राधिकरण, नगरीय विकास विभाग में गायब हो गई थी। इस कारण राज्य सरकार को यह निर्देश दिया गया कि भविष्य में सभी महत्त्वपूर्ण पत्रावलियों की एक प्रति विभागाध्यक्ष ई-फॉर्मेट में अपने आधिपत्य में रखें।
लोकायुक्त सचिवालय द्वारा माथुर आयोग से सम्बन्धित कतिपय पत्रावलियों की जांच कर राज्य सरकार को यह निर्देश दिया गया कि राजस्थान आवासन मण्डल सम्पत्ति निस्तारण अधिनियम, 1970 के नियम 8(1) के तहत विवेकाधीन कोटे में आवास आवंटन बाबत पारदर्शी नीति बनाई जावे व उत्कृष्ट समाज सेवा की क्षेणी में आने वाले आवेदकों के बाबत स्पष्ट मापदण्ड निर्धारित किये जायें।
कोठारी ने बताया कि लोकायुक्त सचिवालय जयपुर शहर में अवैध भवनों का सर्वे जयपुर विकास प्राधिकरण व नगर निगम के माध्यम से करवा रहा है। इनमें चार मंजिला भवनों में पाँचवीं मंजिल पर किये गये अनाधिकृत निर्माण तथा 15 मीटर से ऊंचे सभी भवन सम्मिलित हैं। अब तक के सर्वे में लगभग एक हजार भवन चिह्वित हो चुके हैं, छह सौ भवन मालिकों के विरूद्ध इस्तगासे प्रस्तुत हो चुके हैं तथा न्यायालय द्वारा पच्चीस भवन मालिकों को पचास-पचास हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया जा चुका है।
इनके द्वारा अवैध निर्माण को प्रथम निर्णय के बाद भी नहीं हटाए जाने के कारण दुबारा इस्तगासे प्रस्तुत हो चुके हैं। इन मामलों में प्रथम निर्णय के दिन से अवैध निर्माण नहीं हटाने तक दस हजार रूपया दैनिक जुर्माना होने का भी प्रावधान है।