राजस्थान में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल व हजारों की संख्या में राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट के बीच कांग्रेस महासचिव व पार्टी के राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने सरकार के अब तक के प्रदर्शन सहित अन्य मुद्दों को लेकर बुधवार को यहां पार्टी के विधायकों से चर्चा शुरू की।
वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी के जनघोषणा पत्र के कार्यान्वयन को लेकर अलग से समीक्षा बैठक की।
दो दिन के दौरे पर मंगलवार रात यहां पहुंचे माकन विधानसभा भवन में कांग्रेस व समर्थक विधायकों से एक-एक कर मिल रहे हैं। वे प्रस्तावित मंत्रिमंडल फेरबदल व पार्टी के संगठन में जिला व ब्लॉक स्तर की नियुक्तियों के लिए उनकी राय जान रहे हैं।
माकन से मुलाकात के लिए जिलावार समय तय किया गया है और विधायक इसके अनुसार ही एक-एक कर माकन से मिल रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पहले दिन बुधवार को जयपुर, झुंझुनू, सीकर, अलवर, बारां, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, बूंदी, कोटा व धौलपुर के पार्टी विधायकों का माकन से मिलने का कार्यक्रम है। बाकी जिलों के विधायक बृहस्पतिवार को माकन से मिलेंगे।
आदर्श नगर (जयपुर) से विधायक रफीक खान ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, Òसरकार की उपलब्धियों तथा सरकार को बेहतर बनाने के लिए और क्या किया जा सकता है, सहित विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई।Ó उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के क्रियान्वयन पर प्रतिक्रिया ली जा रही है।
परिवहन मंत्री और सिविल लाइंस सीट से विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और पार्टी आलाकमान अपने सभी सदस्यों को सुनता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हमसे कहा था कि वह हमारे अभिभावक हैं। माकन भी अभिभावक के तौर पर बैठकें कर रहे हैं।’’
खाचरियावास ने कहा कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है और कल्याणकारी योजनाओं, उनके क्रियान्वयन आदि पर चर्चा हुई। मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया गया है।
वहीं, सचिन पायलट खेमे के मुखर विधायक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि उन्होंने माकन को सभी मुद्दों से अवगत करा दिया है और उन्हें संतोष है कि पार्टी आलाकमान अब सभी विधायकों की बात सुन रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने सुझाव दिए और मुझे जो कुछ भी कहना था मैंने बता दिया है। मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि अब हमारे दृष्टिकोण से सीधे पार्टी आलाकमान को अवगत कराया जा रहा है। अब आलाकमान हमें सूचीबद्ध नहीं कर रहा है, बल्कि सभी विधायकों को सुन रहा है।’’
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2018 में सत्ता में आई राज्य की अशोक गहलोत सरकार अपना लगभग आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है।
वहीं, नेता विपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए कहा कि विधायकों के साथ आमने-सामने की चर्चा करने की आवश्यकता से स्पष्ट है कि सरकार ठीक से काम नहीं कर पा रही। उन्होंने कहा, ‘ऐसी सरकारें ठीक से काम नहीं कर सकतीं और लोगों का भला नहीं कर सकतीं।’
इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा भवन में विधायकों के साथ संवाद करने के सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा की शुचिता बनाए रखने के लिए कांग्रेस पार्टी को यह सारी कवायद कहीं और करनी चाहिए थी।’’
माकन यह प्रक्रिया शुरू करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से भी मिले। वहीं, विधानसभा भवन में इस अवसर पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप-मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, सरकार के अनेक मंत्री मौजूद थे।
राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 106 विधायक हैं। इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायकों का उसे समर्थन प्राप्त है।
उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट के बीच माकन व पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गत शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लंबी चर्चा की थी। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इन नेताओं ने मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।