पुष्कर : सस्ती लोकप्रियता हांसिल करने की इस अंधी दौड़ में किस तरह लोग अपने सामाजिक दायित्व को तांक में रख देते है इसका उदहारण मनोरंजन के लिए छापी जाने वाली मनोहर कहानियों के मई संस्करण में साफ नजर आता है। पुस्तक में जिस तरह पुष्कर सरोवर के किनारे जबरन कृत्रिम अश्लीलता परोसी गई है, उससे सामाजिक और धार्मिक संगठनों का उबाल बढ़ता जा रहा है।
हिंदूवादी संगठन और रेस्क्यू कमेटी विरोध में आगे आ चुकी है, वहीं जैसे-जैसे सोशल मीडिया के जरिये आम लोगों तक जानकारी पहुंच रही है, उनका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। विहिप के तहसील प्रमुख जयकुमार पाराशर ने बताया की पुरानी घटनाओं को जोड़कर जिस तरह धार्मिक नगरी की मर्यादाओं के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की गई है, उसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा। यदि प्रशासन और पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। विहिप ने मांग की है कि या तो मनोहर कहानियां मैगजीन प्रबंधन अपनी इस करतूत के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे नहीं तो न्यायालय की शरण ली जाएगी।
दूसरी तरफ रेस्क्यू कमेटी के अध्यक्ष अमित भट्ट ने भी इस हरकत की निंदा करते हुए कहा की यह आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए, जिससे की लोगो की धार्मिक भावनाएं आहत न हो।
गौरतलब है की मनोहर कहानियां नामक एक हिंदी मैगजीन के मई संस्करण में पुष्कर का मेला आंचल नामक शीर्षक को मुख्य पृष्ठ पर प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया गया है, इसके मुख्य पृष्ठ और अंदर तीर्थ राज पुष्कर को बदनाम करने की नियत से आपत्ति जनक सामग्री परोसी गई है, जिसमें दिखाया गया है कि पुष्कर तीर्थ में विदेशी महिलाएं नशे के आगोश में समाकर यहां सैक्स का खेल खलती है, इसी तरह पवित्र सरोवर के बीच विदेशी महिलाओं की अद्र्धनग्न तस्वीरें एडिट की गई है। मैगजीन रेलवे और बस स्टेशनों के अलावा ऑनलाइन भी बेची जा रही हैं।
– अजय सिंह सिसोदिया