राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने राज-पाट का वैभव त्याग कर पहाड़ों और वनों में संघर्षमय जीवन व्यतीत लेकिन अकबर के समक्ष कभी अपना सर नहीं झुकाया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने आदिवासी और वनवासी भीलों के साथ रहते हुए और उन्हीं की तरह जीवन जीते हुए मुगलों को हर मोर्चे पर ना सिर्फ टक्कर दी बल्कि उन्हें बार-बार परास्त भी किया।
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने मातृभूमि के प्रति उनके योगदान को इतिहास कभी भुला नहीं सकेगा। मिश्र रविवार को उदयपुर के मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर आयोजित राष्ट्रीय समारोह में ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। सरकारी बयान के अनुसार राज्यपाल ने कहा कि महाराणा प्रताप के स्वाधीनता संघर्ष में उनका नैतिक और चारित्रिक बल ही सबसे बड़ी शक्ति था।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि महाराण प्रताप में समाज की सभी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के लोगों को संगठित करने और उन्हें साथ लेने की अद्भुत नेतृत्व क्षमता थी। डॉ. जोशी ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने व्यक्तिगत जीवन में महाराणा प्रताप के गुणों को आत्मसात करें।
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि महाराणा प्रताप की लड़ाई अपने लिए नहीं बल्कि मेवाड़ के आम जनता के लिए थी। इतिहासकार डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि महाराणा प्रताप का विराट व्यक्तित्व शौर्य और वीरता का प्रतीक तो है ही, साथ ही विश्व मानववाद और विश्व कल्याण का भी द्योतक है।