राजस्थान में सीएम पद को लेकर खींचतान जारी है। अभी गहलोत और पायलट गुट के विधायकों ने चुप्पी साधी है। ऐसे समय में सचिन पायलट प्रदेश व्यापी दौरे पर निकल गए है, जहां वो जनता से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। उनकी यात्रा की शुरुआत हाड़ौती अंचल से होगी, ये पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है। अब पायलट उन्ही के गढ़ में जाकर उन्हें चुनौती देने वाले है।
विधायकों ने पायलट से बनाई दूरी
इस बीच आज दोपहर एक बजे पायलट हाड़ौती अंचल पहुंच गए है। लेकिन उनकी इस यात्रा से गहलोत गुट के नेताओं ने दूरी बनाकर रखी है। वह सड़क मार्ग से अपने समर्थकों के साथ 4:00 बजे झालावाड़ पहुंचेंगे। लेकिन अब गहलोत गुट के तीन मंत्रियों ने साफ तौर पर पायलट के दौरे से खुद को दूर रखा है। यहाँ तक ये मंत्री पायलट के स्वागत के लिए एयरपोर्ट भी नहीं जाएंगे। जिन मंत्रियों ने दौरे से दूरी बनाई है, उनमें यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, विधायक भरत सिंह और रामनारायण मीना का नाम शामिल हैं।
पायलट की राह नहीं है आसान
बता दें, पायलट के लिए राजस्थान में राह आसान नहीं है। गहलोत गुट के विधायक पायलट को सीएम के रूप में नहीं देखना चाहते है, जिस वजह से पार्टी की तरफ से तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। लेकिन उसका भी कुछ ख़ास असर विधायकों पर दिखा नहीं। दूसरी तरफ खुद गहलोत विधायकों का समर्थन कर चुके है।
हम आपको बता दें, पिछले दिनों जब जयपुर में पार्टी की विधायक दल की बैठक होने वाली थी तो कई विधायकों ने इस बैठक को बॉयकट किया था। इसके बाद 82 विधायकों ने अजय माकन और खड़गे को अपना इस्तीफा सौंपा था। साथ ही शर्त भी रखी थी। विधायकों की शर्त थी कि सीएम पद से अगर गहलोत हटते है तो सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाया जाएगा। जबकि दूसरी शर्त थी कि सीएम कोई 102 विधायक में से ही बनेगा।