जोधपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने अखबारों के सर्कुलेशन की जांच प्रेस रजिस्ट्रार के अलावा दूसरी एजेंसी को दिये जाने के मामले में दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुये आज संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर आगामी 25 मई तक जवाब तलब किया है। एकलपीठ के न्यायाधीश संगीत लोढा ने ऑल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर फेडरेशन द्वारा डीएवीपी की मीडिया पॉलिसी 2016 एवं सर्कुलेशन जांच के अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार के अलावा किसी दूसरी एजेंसी को दिये जाने के मामले में दायर चुनौती याचिका की सुनवाई करते हुये यह नोटिस जारी किये।
फेडरेशन के जिलाध्यक्ष खरथाराम द्वारा दाखिल की गयी याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, डीएवीपी, प्रेस पंजीयक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रिंसीपल सेक्रेट्री एवं डीआईपीआर को भी पार्टी बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनोज भंडारी, एस पी शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड ने पैरवी की। अधिवक्ता दलपत सिंह राठौड ने दलील दी कि महानिदेशक ने डीएवीपी की विज्ञापन पालिसी 2016 में प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 के प्रावधानों को दरकिनार कर समाचार पत्रों के सर्कुलेशन केे जांच का अधिकार न केवल स्वयं ले लिया बल्कि बाद में एक आदेश जारी कर राजस्थान के प्रिंसीपल सेकेट्री को भी जिला स्तरीय जनसंपर्क अधिकारियों से जांच करवाने के निर्देश जारी कर दिये।
उन्होंने दलील दी कि दिल्ली हाईकोर्ट इससे पूर्व सर्कुलेशन जांच के अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग के अधिकारी या निजी एजेंसी को देने संबंधी आदेश को अवैध ठहराते हुये रद्द कर चुका है। अधिवक्ता राठौड ने दलील दी कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी विभिन्न मामलो में माना है कि स्टेट ऑथेरिटिज को समचार पत्र के सर्कूलेशन जांच का अधिकार नहीं है। याचिका में बताया गया है कि डीएवीपी से अनुमोदित चल रहे मौजूदा अखबारों को 01 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2018 तक की तीन साल की अवधि की विज्ञापन दर का अनुबंध दिया जा चुका है जो पूर्व में प्रभावी विज्ञापन नीति 2007 के तहत दिया गया था।
इस पॉलिसी में प्रावधान था कि महानिदेशक द्वारा किया गया अनुबंध आखिरी अवधि तक मान्य रहेगा लेकिन डीएवीपी ने 05 मई 2017 को एक एडवाजरी निकाल कर निर्देश दिये है कि 45000 से अधिक की सर्कुलेशन वाले अखबारों को आरएनआई अथवा एबीसी से सर्कुलेशन वेरीफिकेशन प्रमाण पत्र लाकर प्रस्तुत करना होगा अन्यथा 01 जून 2017 से विज्ञापन दर जारी नहीं रखी जायेगी। इस याचिका में राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सेंकेट्री और निदेशक के उस आदेश को भी चुनौती दी गयी है जिसमें जिला स्तर के जनसंपर्क अधिकारी के माध्यम से अनुमोदित अखबारों की सर्कुलेशन जांच के निर्देश दिये गये है।
– वार्ता