राजस्थान में कोटा के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि वे राजनीति से संन्यास नहीं ले रहे लेकिन वे किसी को खुश करने के लिए राजनीति नही कर रहे है।
पत्रकारों से बात कर क्या बोले सिंह ?
सिंह ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि विधानसभा में अब उनकी उपयोगिता-उपादेयता समाप्त हो गई है, ऐसे में उनका मानना है कि अब युवा पीढ़ी के लोग राजनीति में आगे आएं और उनके लिए जगह बनाने के लिए ही वे विधानसभा छोड़ने के लिए चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर अड़े है, लेकिन यह राजनीति से सन्यास नहीं है। वे अपनी बात को जनता के बीच पहुंचाने के संकल्प पर कायम है और उनका मानना है कि वे भी बहुत सारे ऐसे मंच हैं जिनके जरिए बात रखी जा सकती है।
सिंह ने राजनीति में किन लोगों का दिया उदाहरण
सिंह ने कहा कि उन्हें भी चुनावी राजनीति करने के लिए मौका मिला और उन्हें सहयोग भी मिला। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब युवा थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनावी राजनीति में आने का अवसर प्रदान किया और चुनाव लड़ने का मौका दिया। सिंह ने कहा कि उन्हें भी अपनी बात कहने के लिए किसी विधानसभा की जरूरत नहीं है। वे राजनीति में अपनी विचारधारा की वजह से है। वे कांग्रेसी हैं और इसी विचारधारा से बंधे हुए है। किसी व्यक्ति विशेष को खुश करने के लिए राजनीति नहीं कर रहे हैं और ना ही किसी को प्रसन्न करके राजनीति में अपना अस्तित्व बचाए रखने की कोशिश कर रहे है।
गुण गान करने पर मजबूर हुए सिंह
भरत सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात का एहसास है कि पार्टी में उन्हें अपनी बात रखने का भरपूर मौका दिया जाता है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस बात को कहते रहे हैं कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें उसके कार्यकर्ताओं को अपनी बात बोलने का अवसर दिया जाता है, जबकि दूसरी पार्टियों में नेताओं-कार्यकर्ताओं के पास ऐसे अवसर नहीं होते। सिंह ने इस संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का उदाहरण दिया जो अपनी बहुत सी बातें कहना चाहती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के किसी मंच पर उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जाता। वे अकेली उदाहरण नही है और भी बहुत से लोग हैं जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे लोग भी शामिल है।
भ्रष्टाचार को लेकर क्या कुछ कहा ?
केंद्र में वित्त मंत्री के पद पर रह चुके यशवंत सिन्हा जैसे लोग भी रहे हैं जो अपनी बात को पार्टी के मंच पर सफलता से रख पाने में विफल होने के बाद पार्टी से बाहर हो चुके हैं। सिंह ने कहा कि वे लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी बात को रख रहे लेकिन इसके पीछे उनका मकसद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों को मजबूत करना ही है क्योंकि जिस समय उन्होंने प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाली थी तो उन्होंने प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का संकल्प किया था, लेकिन सत्ता की राजनीति के चलते वे अपने इस संकल्प को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो वे मुख्यमंत्री की पीड़ा को समझ रहे हैं इसीलिए उनका प्रतिनिधित्व करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी बात को रख रहे हैं।