राजस्थान में गहलोत समर्थक विधायकों के रवैए पर आलाकमान ने गहरी जाहिर कि तो वहीं विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी खबर सामने आई। इस बीच अशोक गहलोत के समर्थक नेता बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। गहलोत के बेहद करीबी नेता और सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने कहा कि विधायक सोनिया जी के हर फैसले को मानने को तैयार हैं।
राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने मंगलवार को कहा, अनुशासनात्मक कार्रवाई उन लोगों पर होनी चाहिए थी जो मानेसर गए थे। विधायक सोनिया जी के हर फैसले को मानने को तैयार हैं। मीडिया के जरिए धारणा बनाकर PM या CM की कुर्सी पर कब्जा नहीं कर सकते, जनता का विश्वास जीतने के लिए संघर्ष करने पड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि इतनी जल्दी पर्यवेक्षकों को नाराज नहीं होना चाहिए। ऐसे गुस्सा राजनीति में नहीं होता। अनुशासनात्मक कार्रवाई तो हमें बीजेपी पर करनी चाहिए। हमें बीजेपी के MLAs तोड़ने चाहिए। हम अपने लोगों से नहीं लड़ना चाहते, हमें तो बीजेपी से लड़ना है।
क्या है मानेसर विवाद?
जुलाई साल 2020 का वो महीना है जब सचिन पायलट ने भी बगावती तेवर अपनाते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी की खातिर अपने समर्थित विधायकों के साथ राजस्थान से बाहर मानेसर के एक होटल में डेरा जमाया। उस समय कांग्रेस सरकार के सामने बड़ा संकट और बीजेपी के लिए बड़ा मौका खड़ा हो गया।
हालात ये तक बने कि सरकार बचाने के लिए अशोक गहलोत को अपने समर्थित विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। 34 दिनों तक विधायकों के साथ गहलोत भी पहले जयपुर और फिर जैसलमेर की होटलों में रहे। बाद में सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने सरेंडर किया और सदन में गहलोत सरकार का साथ दिया तो सरकार तो संकट टल गया। लेकिन इस बार गहलोत विधायकों ने वही स्थिति ला खड़ी की है।
जानें राजस्थान में पूरा विवाद?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित होने के बीच सचिन पायलट को राज्य सीएम बनाने की चर्चा के बीच गहलोत खेमे के करीब 90 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इस बीच पार्टी की अंतिरम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मामले को सुलझाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को हर एक बागी विधायक से बात करने के निर्देश दिए।
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हालांकि, विधायकों ने दोनों नेताओं के सामने कुछ शर्तें रखते हुए मिलने से इनकार कर दिया। विधायकों के इन तेवरों से सोनिया गांधी काफी नाराज हो गई है। अब उन्होंने फैसला कर लिया है कि वो किसी के सामने झुकेंगी नहीं। दरअसल, बीते दिन विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट को नया सीएम चुना जा रहा था, लेकिन उससे पहले ही गहलोत गुट के 82 विधायकों ने यह कहते हुए इस्तीफा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया की वो किसी भी हाल में पायलट को अपना नेता नहीं मानने वाले है। हालांकि तब तक सचिन पायलट को लेकर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ था।